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भारतीय वैज्ञानिकों का कमाल, बनाया दुनिया का सबसे बड़ा सोलर ट्री, किसानों को मिलेगा बड़ा फायदा

भारत के सामने अपनी बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की चुनौती है। लेकिन इस मामले में भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी कामयाबी मिली है।

By Saurabh VermaEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 02:56 PM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 02:56 PM (IST)
भारतीय वैज्ञानिकों का कमाल, बनाया दुनिया का सबसे बड़ा सोलर ट्री, किसानों को मिलेगा बड़ा फायदा
भारतीय वैज्ञानिकों का कमाल, बनाया दुनिया का सबसे बड़ा सोलर ट्री, किसानों को मिलेगा बड़ा फायदा

नई दिल्ली, टेक डेस्क. भारत के सामने अपनी बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की बड़ी चुनौती है।हालांकि इसके आड़े प्रदूषण बड़ा मुद्दा बनकर उभरता रहा है, जिससे पार पाने के लिए भारत की तरफ से लगातार कोशिश की जाती रही है। इसी के तहत भारत सोलर ऊर्जा को अहमियत देता रहा है। साथ ही इस मामले में भारतीय वैज्ञानिकों का बड़ा सहयोग मिला है।

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बनाया दुनिया का सबसे बड़ा सोलर ट्री

डीडी न्यूज के मुताबिक सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में भारतीय सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSIR) के वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिली है। भारतीय वैज्ञानिकों ने दुनिया का सबसे बड़ा सोलर ट्री बनाया है। इसे पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर की रेजिडेंसियल कॉम्पलेक्स में लगाया गया है। CSIR-CMERI के डायरेक्टर डॉ.  हरीश हीरानंदानी के मुताबिक इस सोलर ट्री से 11.5 किलो वॉट की अधिकतम एनर्जी पैदा होगी। मतलब सालाना स्तर पर एक सोलर ट्री से 12,000 से 14,000 के बीच स्वच्छ ऊर्जा जनरेट होगी। एक सोलर ट्री में अधिकतम 35 सोलर फोटोवोल्टिक पैनल लगाए गए हैं। इसमें से प्रत्येक 330 वॉट पावर की ऊर्जा जनरेट करता है। 

कीमत 7.5 लाख रुपए  

सोलर ट्री 10 से 12 टन कॉर्बन डाइ आक्साइड उत्सर्जन को रोकेगा। इस सोलर ट्री की कीमत 7.5 लाख रुपए है। यह सोलर ट्री ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए काफी कारगर साबित हो सकता है। इसे प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान स्कीम के तहत किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। इस सोलर ट्री को खेती के कामकाज की जरूरतों को देखते हुए कस्टमाइज भी किया जा सकता है। इस सोलर ट्री इंटेलीजेंस ऑफ थिंग का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही सीसीटीवी सर्विलांस को भी लगाया जा सकता है, जिसकी मदद से खेतों की निगरानी की जा सकती है। साथ ही खेती में रियल-टाइम नमी, हवा की स्पीड, बारिश के अनुमान और एनालिटिक सेंसर की मदद से जमीन की ऊवर्रता का पता लगाया जा सकेगा। इंस्टीट्यूट ने सोलर ऊर्जा से संचालित होने वाला e-Suvidha Kiosks बनाया है, जो सोलर ट्री से कनेक्टेड रहेगा। इससे एग्रीकल्चर के बारे में रियल-टाइम एक्सेस मिलती रहेगी।


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