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निजता और स्मार्टफोन की सुरक्षा के लिहाज से सेटिंग में बदलाव बचाएगा सेंध से!

--- स्मार्टफोन को इस्तेमाल करते हुए हम कई ऐसी बातों से अनजान रहते हैं जिसे निजता और स्मार्टफोन की सुरक्षा के लिहाज से हमें जानना बहुत जरूरी होता है। नये फोन के प्री-इंस्टाल एप्स में कुछ ऐसे भी होते हैं जिनकी नजर हमारी निजी जानकारियों पर होती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 21 Sep 2022 04:37 PM (IST)Updated: Wed, 21 Sep 2022 04:37 PM (IST)
हमें ऐसे एप को पहचानने और उसे डिसेबल करने की जरूरत है...

ब्रह्मानंद मिश्र। जब आप नया स्मार्टफोन लेते हैं, तो क्या आपने इस बात पर गौर किया है कि फोन की स्क्रीन पर पहले से ही गूगल मैप, वाट्सएप, फेसबुक जैसे कई तरह के एप मौजूद होते हैं। गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करने के बजाय ये एप मोबाइल फोन निर्माता कंपनी द्वारा पहले से ही इंस्टाल कर दिए जाते हैं। हालांकि इनमें से कुछ प्री-इंस्टाल एप ऐसे भी हो सकते हैं, जो आपकी निजी जानकारियों में सेध लगा सकते हैं। जाने-अनजाने में आप इन एप को कांटैक्ट, मैसेज, फोटो गैलरी, लोकेशन जैसी अनेक निजी जानकारियों का एक्सेस दे चुके होते हैं। इन एप्स को अनइंस्टाल नहीं किया जा सकता, लेकिन इन्हें डिसेबल कर आप अपनी निजी जानकारियों को साझा होने से बचा सकते हैं। इसके लिए आपको फोन की डिफाल्ट सेटिंग में बदलाव करना होगा। साथ ही, डिफाल्ट ब्राउजर के इस्तेमाल से भी बचना होगा।

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ऐसे बदलें डिफाल्ट सेटिंग

अगर आपने नया फोन लिया है या पहले से स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उसकी डिफाल्ट सेटिंग में जाकर बदलाव करें। संभव है कि निजी जानकारियां एप के जरिए साझा हो रही हों और आपको पता भी न चल रहा हो। तकनीकी विशेषज्ञों की मानें, तो स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों द्वारा प्री-इंस्टाल एप्स को हटाया नहीं जा सकता। इन एप्स की पहुंच फोनबुक, फोटो गैलरी, कांटैक्ट तक बन चुकी होती है। ऐसे में जरूरी है कि इन एप्स को इस्तेमाल करने से पहले डिफाल्ट सेटिंग में बदलाव करें। लोकेशन सेटिंग और रिक्वेस्ट ट्रैकिंग को बंद करें। इसी तरह फेसबुक मेटा सेटिंग में प्राइवेसी चेकर टूल के जरिए रिलेशनशिप स्टेटस और अन्य जानकारियों को साझा होने से रोक सकते हैं। फोन के डिफाल्ट ब्राउजर के इस्तेमाल से हमें बचना चाहिए, क्योंकि इससे निजी सूचनाएं ट्रैक होती हैं, साथ ही अनचाहे विज्ञापन भी आने लगते हैं। शापिंग, डिलीवरी और राइड जैसे एप को ही लोकेशन की अनुमति दें। प्री इंस्टाल एप में से कई का एप स्टोर पर अपडेटेड वर्जन नहीं होता। ऐसे एप को तत्काल डिसेबल कर देने में ही भलाई है।

प्री-इंस्टाल एप को डिसेबल करने का तरीका

प्री-इंस्टाल एप को डिसेबल करने के लिए स्मार्टफोन की सेटिंग में जाएं। वहां एप्स एंड नोटिफिकेशन में जाकर डिफाल्ट एप पर क्लिक करें, जिससे सभी डिफाल्ट एप की लिस्ट आ जाएगी। इसमें जिस एप की आपको जरूरत नहीं है, उस पर क्लिक करें, जिससे 'डिसेबल' और 'फोर्स स्टाप' का आप्शन आएगा। इसमें आपको डिसेबल पर क्लिक करना होगा। इस तरह आप डिफाल्ट एप को रोक सकते हैं। इन तरीकों से आप स्मार्टफोन में अपनी प्राइवेसी को बरकरार रखने में सफल हो सकते हैं।

बचें गैरजरूरी एप को एक्सेस देने से

आप किसी प्री-इंस्टाल एप का इस्तेमाल करें या ना करें, लेकिन उसे अपडेट करते रहना जरूरी है। गैर-जरूरी एप होने से फोन का डाटा हमेशा भरा रहता है। इन एप्स को ओपेन करते ही ये यूजर से एक्सेस मांगते हैं। हालांकि आइओएस और एंड्रायड 11 में एक्सेस देने या नहीं देने का विकल्प होता है। अगर आपको लगता है कि किसी एप को मैसेज, कांटैक्ट या फोटो गैलरी की जरूरत नहीं है, फिर भी वह एक्सेस मांग रहा है, तो उसे वहीं रोक दें। अगर कोई एप आगे बढ़ने से पहले गैर-जरूरी एक्सेस मांगता है, तो संभव है कि वह आपका डेटा चोरी कर रहा हो।

एप और फोन को रखें अपडेट

फोन में मौजूद सभी एप्स और स्मार्टफोन को हमेशा अपडेट रखें, क्योंकि अपडेट के साथ ही गूगल या एपल सिक्योरिटी से जुड़ी समस्याओं का निदान करते हैं। इससे एप की विश्वसनीयता और वैधता का पता चलता है। अगर किसी एप का अपडेटेड वर्जन नहीं है, तो संभव है कि वह वायरस हो। अगर आपने किसी एप को एक्सेस दे दिया है, तो सेटिंग में जाकर उसमें बदलाव कर सकते हैं, जैसे लोकेशन एक्सेस को वन टाइम कर दें, ताकि वह एप बैकग्राउंड में आपकी लोकेशन एक्सेस न करता रहे।

इन बातों का रखें ध्यान

  • प्री इंस्टाल एप की इंडिविजुअल सेटिंग को भी चेक करें और अपनी जरूरत के मुताबिक उसमें बदलाव करें।
  • फोन निर्माता द्वारा इंस्टाल एप को अपडेट करते रहें या एप स्टोर से उसे री-इंस्टाल करें।
  • जिन एप का आप इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, उसे अनइंस्टाल कर दें।
  • एंड्रायड फोन और वेब सर्विसेज गूगल अकाउंट से जुड़ी होती हैं। इसके लिए https://myactivity.google.com/myactivity पर जरूरी बदलाव कर सकते हैं।
  • फेसबुक में सेटिंग मीनू के प्राइवेसी चेकर टूल में जाकर अपनी जरूरत के मुताबिक बदलाव किया जा सकता है।
  • आइओएस फोन में एनालिटिक्स और लोकेशन सर्विसेज के साथ-साथ 'रिक्वेस्ट ट्रैकिंग' को टर्न-आफ कर दें और प्राइवेसी सेटिंग में जरूरत के हिसाब से बदलाव करें।

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