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AI और मशीन लर्निंग की मदद से साइबर अटैक्स पर लगेगा लगाम: स्टडी

स्टडी में 2020 में भारतीय संस्थानों के लिए प्राइवेसी और पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन के लिए क्या ग्लोबल स्टैंडर्ड रखना होगा इसके बारे में भी बताया गया है।

By Harshit HarshEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 03:12 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 08:22 AM (IST)
AI और मशीन लर्निंग की मदद से साइबर अटैक्स पर लगेगा लगाम: स्टडी

नई दिल्ली, टेक डेस्क। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल अब साइबर वॉर रूम के लिए किया जाएगा। पिछले दिनों डाटा सिक्युरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (DSCI) और PwC India ने अपने बैठक में इस बात की जानकारी दी है। इन साइबर वॉर रूम का इस्तेमाल भारत में फिशिंग और साइबर क्राइम जैसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए किया जाएगा। हाल ही में पेश किए स्टडी 'Cyber Security India Market: What lies beneath' में प्राइवेसी और डाटा प्रोटेक्शन के बारे में बताया गया है। स्टडी में 2020 में भारतीय संस्थानों के लिए प्राइवेसी और पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन के लिए क्या ग्लोबल स्टैंडर्ड रखना होगा, इसके बारे में भी बताया गया है।

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अगर, हम इस स्टडी के दूसरे पहलू को देखें तो साइबर अटैकर्स भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करके अटैक को इनिशिएट कर सकते हैं और साइबर क्राइम की घटनाओं को रिकॉर्ड स्पीड में अंजाम दे सकते हैं। स्टडी में ये भी बताया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग कैपेबिलिटीज का इस्तेमाल करके इस तरह के साइबर थ्रेट्स और अटैक्स को ट्रैक किया जा सकेगा। स्टडी के मुताबिक, ऑर्गेनाइजेशन्स को साइबर सिक्युरिटी बढ़ाने के लिए क्लाउड एनवायरोमेंट क्रिएट करना होगा। जिसके लिए उनको अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना होगा।

इस ज्वाइंट स्टडी में ये बात भी कही गई है कि ऑर्गेनाइजेशन्स इस साल क्लाउड पर आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रोसेस और टेक्नोलॉजी में इन्वेस्ट करने वाली है ताकि क्लाउट पर आधारित नेटवर्क और इंसाइडर चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा। आने वाले समय में सिक्युरिटी ऑपरेशन सेंटर को बनाने में फोकस किया जाएगा, ताकि साइबर क्राइम और थ्रेट्स को एमर्जिंग टूल्स और टेक्नोलॉजी की मदद से रिफाइन किया जा सके और ब्रीच के प्लान पर तुरंत रिस्पांस किया जा सके। स्टडी के मुताबिक, ऑर्गेनाइजेशन्स इस समय मोबाइल मेलवेयर की वजह से बिजनेस पर डायरेक्ट प्रभाव कम पड़ता है। आर्गेनाइजेशन्स को भविष्य में इन थ्रेट्स को रोकने के लिए मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे फीचर्स का इस्तेमाल करना होगा। 


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