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मोबाइल नेटवर्क से जुड़े ये 5 फैक्ट्स समझें, फिर कभी नहीं करेंगे मोबाइल नेटवर्क प्रोवाइडर से शिकायत

नेटवर्क को लेकर हर यूज़र के मन में कुछ ग़लतफ़हमियाँ रहती हैं जिनका सच से कोई नाता नहीं है। आइए उन्हीं ग़लतफ़हमियों को दूर करते हैं

By Shilpa Srivastava Edited By: Published: Wed, 08 May 2019 05:47 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 07:08 AM (IST)
मोबाइल नेटवर्क से जुड़े ये 5 फैक्ट्स समझें, फिर कभी नहीं करेंगे मोबाइल नेटवर्क प्रोवाइडर से शिकायत
मोबाइल नेटवर्क से जुड़े ये 5 फैक्ट्स समझें, फिर कभी नहीं करेंगे मोबाइल नेटवर्क प्रोवाइडर से शिकायत

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नई दिल्ली (पार्टनर कान्टेंट)। तकनीक के इस दौर में सोशल मीडिया या इंस्टेंट मैसेंजर का फायदा उठाते हुए आज हम अपनी हर खुशी और उससे जुड़े हर छोटे-बड़े पलों को लोगों के साथ शेयर कर रहे हैं। इस तरह मोबाइल के एक क्लिक से हम दुनिया के किसी भी कोने में बैठे अपने करीबियों के टच में रह पाते हैं। आज ये सभी चीजें तभी संभव हो पा रही हैं जब हमारे पास एक बेहतरीन नेटवर्क उपलब्ध है। हालांकि नेटवर्क को लेकर हर यूज़र के मन में कुछ ग़लतफ़हमियाँ रहती हैं, जिनका सच से कोई नाता नहीं है। आइए उन्हीं ग़लतफ़हमियों को दूर करते हैं।

1. ग़लतफ़हमी (Myth) – मोबाइल नेटवर्क न होने का मतलब है कि नेटवर्क प्रोवाइडर अच्छा नहीं है

सच्चाई (Fact) – ऐसा मानना सही नहीं है। आपके एरिया में मौजूद नेटवर्क टावर पूरे इलाक़े में नेटवर्क देता है। इसके बावजूद भी अगर आपके एरिया के कुछ जगहों पर, नेटवर्क मिलने में परेशानी आती है, तो ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उन जगहों पर मौजूद दूसरे डिवाइसेज़ व इमारतें, नेटवर्क के लिए बाधा का काम करती हैं और मोबाइल सिग्नल आपके फोन तक ठीक से पहुंच नहीं पाते हैं। इसलिए यह कहना ग़लत होगा कि मोबाइल नेटवर्क न होने का मतलब नेटवर्क प्रोवाइडर अच्छा नहीं है।

2. ग़लतफ़हमी (Myth) –ज़्यादा नेटवर्क बार यानी बेहतर नेटवर्क

सच्चाई (Fact) – कॉल के दौरान फोन का कटना या फिर इंटरनेट में बफरिंग होना - ऐसे में हमारी नजर सबसे पहले मोबाइल फोन के नेटवर्क बार की तरफ जाती है, क्योंकि हम यह मानकर चलते हैं कि ज़्यादा नेटवर्क बार यानी बेहतर नेटवर्क, जबकि ऐसा नहीं है। आपके फोन में नेटवर्क बार ज़्यादा तब दिखाता है जब आपका फोन टावर के नज़दीक होता है। टावर से दूरी होने पर बार्स अपने आप कम हो जाते हैं । इसी लिए यह ना समझें की ज्यादा बार्स की वजह से आपको बहुत ही अच्छा सिग्नल मिल रहा है। जरूरी है कि आपका मोबाइल नेटवर्क आपको एक स्ट्रॉन्ग नेटवर्क दे, जिससे फास्ट नेटवर्क स्पीड और बिना रुकावट के कालिंग मिले। जैसे कि एयरटेल 4जी, जो भारत में सबसे तेज 4जी इंटरनेट स्पीड के लिए जाना जाता है, तो आप ऐसे नेटवर्क के साथ जुड़ सकते हैं।

3. ग़लतफ़हमी (Myth) – तेज नेटवर्क के लिए वाई-फाई आपके मोबाइल नेटवर्क से एक बेहतर विकल्प है

सच्चाई (Fact) – यह मानना गलत होगा। ऐसे पहले होता था जब तेज नेटवर्क के लिए यूजर्स वाई-फाई यूज करना पसंद करते थे। फिर चाहे वो मूवी स्ट्रीम करना हो या फिर हाई ग्राफिक गेम्स खेलना। पर आज के जमाने में, मोबाइल नेटवर्क में बहुत ज्यादा सुधार हो चुका है। टेलीकॉम कंपनिया अपने 4जी नेटवर्क कवरेज और इंटरनेट स्पीड को बढ़ाने में जुटीं हैं, जिससे यूजर्स को हाई स्पीड इंटरनेट का लाभ मोबाइल में मिल सके। ऐसे में एचडी मूवी देखना, गेम्स खेलना या ब्राउजिंग करना मोबाइल फोन्स में काफी आसान हो गया है। मिसाल के तौर पर एयरटेल एक ऐसा नेटवर्क है जो अपने तेज 4जी स्पीड के लिए जाना जाता है। यहां तक कि दुनिया की सबसे जानी मानी नेटवर्क रिसर्च कंपनियां जैसे कि ऊकला और ओपन सिग्नल, दोनों ने ही एयरटेल 4जी को भारत का सबसे तेज 4जी नेटवर्क घोषित किया है। 



4. ग़लतफ़हमी (Myth)– मोबाइल नेटवर्क बूस्टर्स ख़ुद बनाते हैं अपना सिग्नल

सच्चाई (Facts) – इन दिनों मार्केट में नेटवर्क बूस्टर्स की सेल बढ़ाने के लिए आधी-अधूरी जानकारियां कस्टमर्स के सामने रखी जा रही हैं। ऐसे में आपका यह जानना जरूरी है कि नेटवर्क बूस्टर अपना खुद का सिग्नल नहीं बनाता जो कि एक आम धारणा है, बल्कि इसका काम उपलब्ध सिग्नल को बढ़ाना है। इसके अलावा यह सीमित दायरे में ही काम करता है, जहां यह इंस्टॉल्ड है। ऐसे में आपको एक ऐसा नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर चुनना चाहिए, जो घर के अंदर बेहतर तरीके से काम कर सके। जैसे कि एयरटेल, जो कई प्रदेशों में L900 टेक्नोलॉजी लेकर आये हैं, जिससे इनडोर कवरेज बेहतर हो जाएगी। इस टेक्नोलॉजी की मदद से हमें घर, ऑफिस या मॉल में एक बेहतरीन मोबाइल नेटवर्क मिलेगा। 



5. ग़लतफ़हमी (Myth) – बूस्टर्स लगाने से आपके इलाके में मोबाइल नेटवर्क की क्वालिटी पर नहीं होता असर

सच्चाई (Facts) – नेटवर्क बूस्टर्स की सच्चाई सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) के उस ऑर्डर से सामने आ जाती है, जहां उन्होंने सभी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स से बूस्टर्स की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने को कहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के डिवाइसेज़ में वायरलेस टेलीग्राफी का इस्तेमाल किया जाता है, जो ग़ैर-क़ानूनी होने के साथ-साथ मौजूद मोबाइल नेटवर्क की क्वालिटी भी ख़राब होती है।

नेटवर्क से जुड़े इन ग़लतफ़हमियों की वजह से कई बार यूजर्स सही सर्विस का फायदा नहीं उठा पाते। इसलिए उन्हें इस तरह की गलतफहमियों पर विश्वास नहीं करना चाहिए, बल्कि यहां एक ऐसे नेटवर्क को चुनना चहिए, जो मज़बूत और भरोसेमंद होने के साथ-साथ उनकी समस्याओं को दूर करे। 

लेखक - शक्ति सिंह

ये आर्टिकल Airtel के साथ पार्टनर कॉन्टेंट का हिस्सा है

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