Jagran Explainer: क्या हैं 5G C-बैंड्स? जिससे दुनियाभर में हवाई उड़ानें हो गईं ठप, जानिए कैसे 5G नेटवर्क प्लेन क्रैश के लिए हैं जिम्मेदार
5G बैंड्स को लेकर भारत समेत दुनियाभर में काफी पहले से चिंताएं जाहिर की जा रही थी। इसे पर्यावरण के लिहाज से खतरनाक करार दिया जा रहा था। लेकिन अब 5G नेटवर्क के चलते हवाई उड़ाने प्रभावित होने की रिपोर्ट्स हैं।
नई दिल्ली, सौरभ वर्मा। दुनिया के कई मुल्क नेक्स्ड जनरेशन 5G नेटवर्क को रोलआउट कर रहे हैं। साल 2022 के मध्य तक भारत में भी 5G नेटवर्क रोलआउट हो सकता है। लेकिन इससे पहले 5G नेटवर्क को लेकर कई तरह की चिंताएं जाहिर की जा रही हैं। ऐसा ही एक नया मामला सामने आया है, जिसमें हवाई उड़ानों के लिए 5G C-बैंड नेटवर्क के इस्तेमाल को खतरनाक करार दिया गया है। 5G C-बैंड नेटवर्क के चलते एयर इंडिया समेत कई देश की विमानन कंपनियों को अमेरिका जाने वाली अपनी हवाई उड़ान रद्द करनी पड़ी हैं। इसकी वजह अमेरिका में 5G C-बैंड्स रोलआउट है।
#FlyAI: Due to deployment of the 5G communications in USA,we will not be able to operate the following flights of 19th Jan'22:
AI101/102 DEL/JFK/DEL
AI173/174 DEL/SFO/DEL
AI127/126 DEL/ORD/DEL
AI191/144 BOM/EWR/BOM
Please standby for further updates.https://t.co/Cue4oHChwx— Air India (@airindiain) January 18, 2022
5G से हवाई उड़ान प्रभावित
Forbes की रिपोर्ट के मुताबिक इस हफ्ते अमेरिका में 5G के C-बैंड के रोलआउट होने से विमान के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सिग्नल रिसीव करने में बाधा आ सकती है। अमेरिकी विमानन नियामक संघीय उड्डयन प्रशासन (AFA) की मानें, तो 5जी C-बैंड्स की वजह से एयरक्राफ्ट का रेडियो अल्टीमीटर इंजन और इंजन और ब्रेकिंग सिस्टम पर असर डाल सकता है, जिससे प्लेन क्रैश होने की संभावना है।
क्या हैं 5G C-बैंड
5G C-बैंड एक बैंडविड्थ है, जो 3.7GHz रेडियो फ्रिक्वेंसी और 4.2GHz रेडियो फ्रिक्वेंसी के बीच काम करती है। एविएशन इंडस्ट्री के मुताबिक C-बैंड्स फ्रिक्वेंसी पर एयरक्रॉफ्ट रेडियो एल्टीमीटर ऑपरेट करते हैं। जिसका काम प्लेन और जमीन के बीच की दूरी मापना है। यह फ्रिक्वेंसी एयरप्लेन के लैंडिंग के वक्त काफी अहम होती है। खासकर जब जमीन पर धुंध, बर्फ और बरसात का मौसम होता है, उस वक्त C-बैंड की मदद से एयरप्लेन को लैंड किया जाता है। ऐसे में 5G C-बैंड सभी तरह के सिविल एयरक्रॉफ्ट के रडार एल्टीमीटर को बाधित कर सकते हैं। इसमें कॉमर्शियल, ट्रांसपोर्ट एयरप्लेन, बिजनेस, रीजनल और जनरल एविएशन प्लेन शामिल हैं। साथ ही हेलीकॉप्टर की उड़ान प्रभावित हो सकती है।
5G C-बैंड को लेकर टेलिकॉम कंपनियों की क्या है राय
टेलिकॉम कंपनियों की मानें, तो C-बैंड को रोलआउट किया जाने बेहद जरूरी है। टेलिकॉम की दुनिया में इसे Goldilock फ्रिक्वेंसी के नाम से जाना जाता है। जो हाई स्पीड डेटा और ज्यादा कवरेज तक 5G नेटवर्क पहुंचाने में मदद मिलती है।
5G C-बैंड की अमेरिकी में हुई शुरुआत
5G C-बैंड को सबसे पहले अमेरिका में लॉन्च किया गया था। इसे सबसे पहले स्पेक्ट्रम को बड़े टीवी सैटेलाइट्स के लिए पेश किया गया था। लेकिन C-बैंड्स टेलिकॉम सेक्टर के लिए मौजूद नहीं थे। हालांकि मार्च 2020 में FCC ने टेलिकॉम सेक्टर के लिए 3.7-3.98GHz बैंड के इजाजत की इस्तेमाल दी थी।
5G C-बैंड को ब्लॉक करने की मांग
हालांकि पिछले लंबे वक्त से 5G C-बैंड को ब्लॉक करने की मांग की जा रही है। दरअसल ऐसा दावा है कि 5G C-बैंड एयरलाइन कॉकपिट तक पहुंचने वाले सिग्नल को प्रभावित कर सकती है। जो कि फ्लाइट सेफ्टी के खिलाफ है। इस मामले में अमेरिकी एयरलाइन एजेंसी के एक समूह ने याचिका दाखिल करके 5G C-बैंड को ब्लॉक करने और C-बैंड के रोलआउट को लेकर कानून बनाने की मांग की है।