मैमोरी कार्ड खरीदने से पहले इस तरह पहचानें कार्ड असली है या नकली
मैमोरी कार्ड हर यूजर की आधारभूत जरुरत होती है| पर क्या मैमोरी कार्ड खरीदने से पहले आपने कभी ध्यान दिया की कहीं वो नकली तो नहीं
नई दिल्ली (जेएनएन)। स्मार्टफोन यूजर्स के लिए फोन की स्टोरेज ही काफी नहीं होती। इसके लिए स्टोरेज को एक्सपैंड करने के लिए मैमोरी कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है। यूजर्स मैमोरी कार्ड का प्रयोग डाटा को सेव करने के लिए भी करते हैं। लेकिन मैमोरी कार्ड खरीदने से पहले यह जांच लेना भी जरुरी है की कार्ड असली है या नकली।
अगर आप जाने-अनजाने नकली मैमोरी कार्ड खरीद लेते हैं तो इससे ना केवल डाटा के खुद-ब-खुद डिलीट होने का खतरा रहता है बल्कि इससे मोबाइल प्रोसेसिंग पावर भी कम हो जाती है। लेकिन ऐसे कुछ तरीकें हैं जिनसे पता लगाया जा सकता है की मैमोरी कार्ड असली है या नकली।
पैक मैमोरी कार्ड ही लें:
नकली मैमोरी कार्ड खरीदने से बचने का सबसे अच्छा तरीका है की खुले मैमोरी कार्ड ना खरीदें। बाजार में लगभग 70 फीसद से ज्यादा कार्ड बिना पैक के बेचे जाते हैं, जिसमे में से काफी नकली निकलते हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि तोशिबा, सैनडिस्क और सैमसंग जैसी कंपनियां पैकिंग में कार्ड बेचती हैं।
कार्ड पर हुआ प्रिंट:
असली मैमोरी कार्ड पर लिखा हुआ ब्रैंड का नाम क्लियर प्रिंट होता है जबकि नकली मैमोरी कार्ड में थोड़ा फैला और भद्दा सा होता है। प्रिंट के इस फर्क को गौर से देखने पर पहचाना जा सकता है।
स्टोरेज कैपेसिटी:
नकली मैमोरी कार्ड की सबसे बड़ी पहचान है की उसमें बताई गई स्टोरेज कैपेसिटी से कम डाटा स्टोर करने की क्षमता होती है। इसका मतलब यह की अगर मैमोरी कार्ड 16GB का है तो उसमें 12GB डाटा स्टोर करने की ही क्षमता होगी।
मैमोरी कार्ड खरीदने से पहले इन बातों का ध्यान जरूर रखें। इससे आप नकली कार्ड लेने से बच सकते हैं।
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