जिंदगी का अभिन्न अंग है मोबाइल फोन
मौजूदा समय में मोबाइल फोन जीवन का अटूट हिस्सा बन गया है, जिसके न होने से एक कमी का एहसास होता है। हालिया हुए एक शोध से भी यही स्पष्ट होता है कि व्यक्ति अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा मोबाइल फोन के साथ ही व्यतीत करता है।
लंदन। मौजूदा समय में मोबाइल फोन जीवन का अटूट हिस्सा बन गया है, जिसके न होने से एक कमी का एहसास होता है। हालिया हुए एक शोध से भी यही स्पष्ट होता है कि व्यक्ति अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा मोबाइल फोन के साथ ही व्यतीत करता है।
शोध के मुताबिक एक सामान्य मोबाइल यूजर हर साढ़े छह मिनट बाद अपना मोबाइल चेक करता है। अध्ययन के मुताबिक औसतन एक व्यक्ति दिन के 16 घंटों में जबकि वह जगा होता है तकरीबन 150 बार अपना मोबाइल चेक करता है। ज्यादातर लोग सुबह उठकर सबसे पहले अपना मोबाइल चेक करते हैं और उसके बाद कोई दूसरा काम करते हैं। अगर दिन की शुरुआत मोबाइल का अलार्म बंद करने से होती है तो रात को अलार्म लगाने के बाद ही ज्यादातर लोग बिस्तर पर जाते हैं। सोने और जागने के बीच इंटरनेट चेक करने, ई-मेल पढ़ने, फोन करने, मैसेज भेजने से लेकर ढेरों काम के लिए हम मोबाइल पर ही निर्भर हैं।
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, अध्ययन में पाया गया कि जो लोग मोबाइल फोन जैसे डिवाइसों को लेकर संवेदनशील नहीं भी होते हैं वे भी नियमित समय पर मोबाइल चेक करते हैं। मोबाइल टेक्नोलॉजी कंसल्टेंट टॉमी अहोनेन के अनुसार एक व्यक्ति हर रोज औसतन 22 फोन कॉल करता या रिसीव करता है और इतनी ही संख्या में टेक्स्ट मैसेज प्राप्त करता या भेजता है।
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