कौन है नायक
नायक वही है, जो किसी की भलाई के लिए जितना कर सकता हो, उतना जी-जान से करे।
कुछ साल पहले की बात है। न्यूयॉर्क के
मैनहटन स्टेशन पर वेस्ली ऑट्री अपनी
क्रमश: चार और छह वर्ष की बेटियों के
साथ ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे थे।
जब उन्होंने
देखा कि ट्रेन सामने से आ रही है, तभी
उनके पास खड़ा एक मुसाफिर अचानक
गश खाकर रेलवे ट्रैक पर गिर पड़ा। वेस्ली
ने आव देखा न ताव, इंजन के सामने छलांग
लगा दी और उस मुसाफिर को ट्रैक के बीच
बनी गहरी नाली में खींच लिया। ट्रेन के
अचानक ब्रेक लगे, लेकिन वह रुक नहीं
पाई। पांच डब्बे उनके सिरों को छूते हुए
ऊपर से गुजर गए। मित्र्ी से लथपथ अपनी
टोपी उतारते हुए वेस्ली ने तेज आवाज में
कहा, 'मेरी दोनों बेटियों को बता दो कि
उनके पापा ठीक हैंÓ। भीड़ में सभी हैरानी
और खुशी जता रहे थे और वेस्ली की
सराहना कर रहे थे। गश खाकर गिरने वाला
मुसाफिर न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी का छात्र
था और उसे दौरे पड़ने की शिकायत थी।
उसे अस्पताल ले जाया गया, उसे मामूली
चोट और खरोंचें ही आई थीं।
जब उस छात्र ने वेस्ली का आभार जताया,
तो उन्होंने कहा, 'मैंने कोई बड़ा कारनामा
नहीं कर दिखाया है। तुम्हें उस समय मदद
की जरूरत थी और मैं जो कर सकता था,
वह किया।Ó
कथा-मर्म : नायक वही है, जो किसी की
भलाई के लिए जितना कर सकता हो, उतना
जी-जान से करे।