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शास्त्र नारी के विषय में क्या कहते हैं?

मारी परम्परा नारी की पूज्यनीय ही नहीं, अपितु लक्ष्मी का रूप मानने का संदेश देती है। इस विषय में मनुस्मृति कहती है-च्च्यत्र नार्यास्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। जिस परिवार मे स्त्रियों का सम्मान होता है, वह घर स्वर्ग के समान बन जाता है, वहां देवता निवास करते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2015 01:18 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2015 01:24 PM (IST)
शास्त्र नारी के विषय में क्या कहते हैं?

हमारी परम्परा नारी की पूज्यनीय ही नहीं, अपितु लक्ष्मी का रूप मानने का संदेश देती है। इस विषय में मनुस्मृति कहती है-च्च्यत्र नार्यास्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। जिस परिवार मे स्त्रियों का सम्मान होता है, वह घर स्वर्ग के समान बन जाता है, वहां देवता निवास करते हैं।

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महर्षि वेदव्यास ने स्त्रियों के लिए, वचन व कर्म से पति सेवा ही हो सबकुछ माना है। नारी के लिए किसी गुरु

की आवश्यकता नहीं, पति ही उसका गुरु होता है। जहां विश्व की अन्य सभ्यताओं में नारी को विलासिता की वस्तु माना गया है, वहीं भारत में नारी में गरिमा के दर्शन होते हैं। पहली शिक्षा च्च्मातृदेवो भव से प्रारम्भ होती

है।

नारी को मातृशक्ति के रूप में पूजा गया है। त्वमेव माता च पिता त्वमेव आदि हिन्दू धर्म की सभी प्रार्थनाओं में माता का स्थान पिता से से आगे है। च्च्मातृदेवो भव के बाद ही अतिथि देवो भव का आदेश आता है।


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