नई दिल्ली, मोरारी बापू | New Year 2023 Message by Morari Bapu: सांस्कृतिक मूल्यों से परिपूर्ण भारत में हर पग पर भाषा व संस्कृति में बदलाव देखा जाता है। भारत की सांस्कृतिक धरोहर करुणा, व्यवहार, अहिंसा, अध्यातम और शांति इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण मूल्यों की शिक्षा देती है। भारत की सनातन परंपरा समर्पण, सहअस्तित्व, त्याग जैसे मूल्यों का संदेश देती हैं। अब जब नए साल का प्रारंभ हो चुका है तो व्यक्ति को इन सभी संदेशों से शिक्षा लेकर अपने जीवन में सकारात्मकता संचार करना चाहिए। यहां यही संदेश दे रहे हैं जाने माने संत और प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू।

संदेश

नए साल में हम जो भी करें, वह मानव और मानवता दोनों के हित में होना चाहिए। मानव और मानवता की संरक्षा के लिए सत्य, प्रेम और करुणा का आश्रय लें। श्रीरामचरितमानस की रुचि इसमें नहीं है कि एक दिन बदल जाए, एक सप्ताह बदल जाए, एक माह बदल जाए या फिर एक वर्ष बदल जाए। मानस की ज्यादा श्रद्धा तो इसमें है कि पूरा युग बदल जाए। नए साल या किसी खास मौके पर कुछ व्रत लेने की बात करते हैं।

मैं कहता हूं कि कुछ भी करो, मगर विवेक बनाए रखो। सिर्फ लेने के लिए व्रत लें और उसे निभा न सकें तो यह ठीक नहीं है। संघर्षमय चित्त से कोई भी निर्णय न करें। व्रत लेना ही है तो जितना निभा सकें, उतना सत्य का निर्वहन करना। सबसे बड़ा सत्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ कमजोरियां हैं। आप उन्हीं कमजोरियों के साथ लोगों को स्वीकार करें। यही मानवता है। मानवता की संरक्षा के लिए आवश्यक है हम सत्य, प्रेम और करुणा का आश्रय लें।

आप जो भी काम करें, जितना हो सके सत्य को निभाएं। सत्य में बहुत ताकत होती है। सत्य से अभय का जन्म होता है। करुणा से अहिंसा प्रकट होती है। प्रेम से त्याग पैदा होता है। जहां सत्य होगा, वहां अभय आएगा। जो व्यक्ति अभय होगा, वह शांत भी होगा। जहां प्रेम होगा, वहां त्याग अपने आप आ जाएगा। गीता ने स्पष्ट कहा है कि त्याग से शांति प्राप्त होती है। करुणा से अहिंसा जन्म लेती है और जिस व्यक्ति में अहिंसा होगी, वह शांत भी होगा।

Edited By: Shantanoo Mishra