Move to Jagran APP

ममता से विह्वल यशोदा भूल गईं थीं छठ पूजन

वाह री, यशोदा की ममता। कान्हा की ममता में इतनी मग्न हुईं कि छठ पूजने की परंपरा भूल गईं। भला हो सबसे बुजुर्ग गोपी चंद्रावली की, जिसके ध्यान दिलाने पर लाला का छठ पूजन उनके जन्म लेने के 364वें दिन मां यशोदा ने किया। घरों में शिशु के जन्म लेने के छठवें दिन छठ पूजने की परंपरा है। छठ पूजन के पश्चात संबंधित घर से सोबर समाप्त

By Edited By: Published: Mon, 26 Aug 2013 03:14 PM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2013 03:20 PM (IST)

मथुरा। वाह री, यशोदा की ममता। कान्हा की ममता में इतनी मग्न हुईं कि छठ पूजने की परंपरा भूल गईं। भला हो सबसे बुजुर्ग गोपी चंद्रावली की, जिसके ध्यान दिलाने पर लाला का छठ पूजन उनके जन्म लेने के 364वें दिन मां यशोदा ने किया।

loksabha election banner

घरों में शिशु के जन्म लेने के छठवें दिन छठ पूजने की परंपरा है। छठ पूजन के पश्चात संबंधित घर से सोबर समाप्त हो जाती है और इसके बाद जच्चा दैनिक कामकाज में जुट जाती है, लेकिन जगतपालक होने के बाद भी कन्हैया का छठ पूजन उनके पहले बर्थडे के एक दिन पहले यानि जन्म लेने के 364वें दिन हुआ था।

प्राचीन नंद किला मंदिर गोकुल के पुजारी नटवर जय भगवान बताते हैं, कान्हा के जन्म दिन के बाद यशोदा जी छठ पूजन की तैयारी में जुटी थीं कि इसी बीच राक्षसी पूतना गोकुल में कान्हा को मारने के उद्देश्य से आ धमकी। पूतना पूरे गोकुल में छह दिन के जितने भी शिशु मिले सबको मारने लगी। यह खबर मिलने के बाद मां यशोदा लाला को इस तरह दुबकाये-दुबकाये रहने लगीं कि लाला की भनक उनकी सखी-सहेलियों को भी नहीं लग पायी। वक्त गुजरने के साथ ही यशोदा जी छठ पूजन की बात भी भूल गयीं। कान्हा के जन्म दिन के एक साल पूर्ण होने के दो दिन पहले यशोदा जी ने गोकुल की सबसे बुजुर्ग गोपी चंद्रावली को बुलाया और लाला के जन्म दिन पर भोज का निमंत्रण सभी विप्रों को देने के लिये कहा। चालाक चंद्रावली ने कहा, यशोदा मैया लाला का छठ पूजन न होने की वजह से अभी तुम्हारे घर से सोबर नहीं निकली है। लिहाजा, विप्र कान्हा के जन्म दिन की खुशी में भोजन करने नहीं आएंगे। इस बुजुर्ग गोपी ने ही यशोदा जी को लाला के जन्म दिन के एक दिन पहले छठ पूजन करने का उपाय बताया। छठ पूजन के बाद कान्हा का पहला जन्म दिन मां यशोदा और नंद बाबा ने मनाया था।

प्रभु भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की धूम मथुरा में तो नंदोत्सव की जबर्दस्त धूम इसके एक दिन बाद गोकुल में मचती है। गोकुल जैसी नंदोत्सव की धूम शायद ही पूरी दुनिया में कहीं मचती हो। जन्माष्टमी की मध्य रात्रि मथुरा में कान्हा के जन्म की खबर दूसरे दिन सुबह पाकर गोकुल के नर-नारी और बच्चे फूले नहीं समाते। प्रात: से ही गोकुल नगर के हर घर को बंदनवार और तोरणद्वारों से सजाया जाता है। नर हो या नारी या फिर बच्चे, खुशी से पागल हो, सब झूमते हैं। सबके मुख से '.यशोदा जायो लल्ला' और 'हाथी-घोड़ा, पालकी, जय कन्हैया लाल की' की गूंज निकलती है। नंद के आनंद भये जय कन्हैया लाल का गायन करते हैं। नंद किला मंदिर गोकुल के पुजारी छगन लाल बताते हैं, नंदोत्सव के मौके पर नंदबाबा माखन-मिश्री, लड्डू, पेड़ा, मेवा, चांदी आदि के सिक्के आदि का खजाना लुटाते हैं। वैसे तो नंदोत्सव गोकुल के सभी मंदिरों में मनता है लेकिन नंद भवन, गोकुल नाथ मंदिर, राजा ठाकुर मंदिर, यशोदा भवन और दाऊ जी मंदिर में इस अवसर पर छटा देखते ही बनती है।

पुजारी छगन लाल बताते हैं, नंदोत्सव के दिन पूर्वान्ह 11 से दो बजे तक गोकुल और आसपास के गांवों के लोग नंद चौक में एकत्रित होते हैं, यहां खजाना लुटाया जाता है। खजाना लूटने के लिये विदेशी श्रद्धालु भी आते हैं। और उनमें खजाना लूटने की होड़ मची रहती है। उनके हाथ में जो भी आता है वह उसे कान्हा का आशीर्वाद मानते हैं।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.