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Chaitra Navratri 2023: सत्प्रवृत्तियों का जागरण, पढ़िए हिन्दू नववर्ष और नवरात्र का माहात्म्य

Chaitra Navratri 2023 हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्र पर्व का विशेष महत्व है। नवरात्र पर्व के इन नौ दिनों में मां दुर्गा नौ शक्तिशाली स्वरूपों की उपासना की जाती है। आइए जानते हैं हिन्दू नववर्ष और नवरात्र पर्व का माहात्म्य।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Sun, 19 Mar 2023 04:21 PM (IST)Updated: Sun, 19 Mar 2023 04:21 PM (IST)
Chaitra Navratri 2023: सत्प्रवृत्तियों का जागरण, पढ़िए हिन्दू नववर्ष और नवरात्र का माहात्म्य
Chaitra Navratri 2023: जानिए क्या है नवरात्रि और हिन्दू नववर्ष का महत्व?

नई दिल्ली, डा. प्रणव पण्ड्या (प्रमुख, अखिल विश्व गायत्री परिवार, हरिद्वार) | Chaitra Navratri 2023: नूतन वर्ष की शुरुआत में हर देश के लोग अपने-अपने ढंग से खुशियां मनाते हैं और अपने इष्ट देव की उपासना करते हैं, ताकि उनके वर्ष भर के कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हों। इस लक्ष्य की पूर्ति और नवीन शक्ति की प्राप्ति के लिए अनेक प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं। सनातन धर्म में हमारा नया वर्ष वासंतिक (चैत्र) नवरात्र से शुरू होता है। नवरात्र में अखिल विश्व की माता भगवती दुर्गा की आराधना सदा से होती आई है। यश, कीर्ति, आयु और धन-संपदा की वृद्धि के लिए देवी मां के पूजन का विशेष माहात्म्य है। इसीलिए भगवान व्यास ने कहा है-

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‘दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः

स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

दारिद्रयदुःखभयहारिणि का त्वदन्या

सर्वोपकारकरणाय सदार्द्र चित्ता।’

अर्थात ‘हे माता! तू स्मरण मात्र से सब भयों का निराकरण कर देती है और जो तुझे स्वस्थ मन से भजते हैं, पूजते हैं, उनकी दरिद्रता, भय आदि सब कष्टों को तू हर लेती है।’ नवरात्र के संबंध में पुराणों में उपाख्यान है कि महिषासुर नाम का एक दैत्य महाअभिमानी था। अपना आधिपत्य जमाने के लिए उसने सूर्य, अग्नि, इंद्र, वायु, यम, वरुण आदि देवताओं को अधिकारच्युत कर दिया। तब सब देवता मिलकर ब्रह्माजी के पास गए, जहां भगवान विष्णु और भगवान शिव भी विराजमान थे। महिषासुर द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को सुनकर भगवान विष्णु ने तेज रूप धारण किया। सभी देवताओं का तेज भी उसमें मिल गया और उससे एक महाशक्ति उत्पन्न हुई, जिसके तीन नेत्र और आठ भुजाएं थीं। यही भगवती माता दुर्गा थीं। सभी देवताओं ने अपने-अपने आयुध उन्हें प्रदान किए। इस प्रकार के संगठन से शक्तिशाली बनकर देवी ने महिषासुर को ललकारा।

इस महासंग्राम में प्रलयकाल जैसा दृश्य दिखलाई पड़ने लगा। महिषासुर के साथी भी एक साथ दुर्गा पर टूट पड़े, पर उस अपूर्व शक्तिशाली माता ने सभी का एक साथ संहार कर डाला। अंत में महिषासुर भी मारा गया। देवता और मुनियों ने देवी की जय-जयकार की। देवी ने प्रसन्न होकर कहा कि आप जैसे शांतिप्रिय और सत्वगुण संपन्न महात्मा व देवताओं के कल्याण का मैं सदैव ध्यान रखूंगी और उनकी सहायता करती रहूंगी। नवरात्र का यह पर्व सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। चैत्र और अश्विन मास में ऋतु परिवर्तन के कारण प्रायः अनेक नए-नए रोग उत्पन्न होते हैं। देवी के पूजन, उपवास और सामूहिक यज्ञ-हवन के द्वारा वातावरण शुद्ध होकर समय के परिवर्तन के कुप्रभाव से बच जाते हैं। इस अवसर पर कल्याणकारी माता दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु प्रार्थना व उपासना करें, ताकि माता दुर्गा हमारे अंदर बैठे आसुरी विचार व शक्तियों का वध करें और अपने भीतर दैवी शक्ति व सत्प्रवृत्तियों का जागरण करें।


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