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यात्रा की थकान से बचने के 4 टिप्स

साल के आखिरी हफ्ते बहुत से लोगों के लिए सफर का समय होता है। लेकिन सफर का शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है। तो क्या करें कि यात्रा की थकावट ना हो या कम से कम हो?

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2016 01:05 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2016 01:07 PM (IST)
यात्रा की थकान से बचने के 4 टिप्स
यात्रा की थकान से बचने के 4 टिप्स

साल के आखिरी हफ्ते बहुत से लोगों के लिए सफर का समय होता है। लेकिन सफर का शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है। तो क्या करें कि यात्रा की थकावट ना हो या कम से कम हो?

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सद्गुरु: यात्रा की तेज रफ्तार आज के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है, जिससे आप बच नहीं सकते। जब मानव शरीर अपनी कुदरती क्षमताओं से अधिक रफ्तार से यात्रा करता है, तो उसका सूक्ष्म ऊर्जा रूप और ऊर्जा के आस-पास का आभामंडल कमजोर पड़ जाता है। आभामंडल का कमजोर पड़ना सफर के अंत में बहुत ज्यादा थकान पैदा कर सकता है, जो आपकी यात्रा के मकसद को प्रभावित कर सकता है। खास तौर पर अगर आपको बहुत कम दिनों के लिए कहीं ठहरना हो।

यहां कुछ सरल चीजें दी गई हैं, जिनका सफर की शुरुआत से पहले, उसके दौरान और यात्रा के बाद इस्तेमाल करते हुए आप उस थकान और कष्ट को कम कर सकते हैं, जिनसे आपकी ऊर्जा प्रणाली यात्रा के दौरान गुजरती है।

यात्रा के दौरान सीधा बैठें

आपको आराम मिले इसके लिए जरुरी है कि आप ये समझें कि आराम कैसे मिलता है। शरीर को तीन तरीके से आराम मिलता है – मांसपेशियों को आराम, शारीरिक अंगों को आराम और तीसरा आपके अस्थि-तंत्र यानी ढांचा जिसे आप अंग्रेजी में ‘स्केलेटल’ कहते हैं, उसको आराम। जब आप झुक कर या टेक लगाकर बैठते हैं, तो आपकी मांसपेशियां तो आराम में होती हैं, मगर आपका ढांचा और शारीरिक अंग तनाव में होते हैं। क्योंकि आपके शरीर के भीतरी अंग शिकंजों से नहीं कसे गए हैं। वे ढीले-ढाले ऊतकों यानी “टिशु” से जुड़े हुए झूल रहे होते हैं। जब आप झुककर या टेक लगाकर बैठते हैं, तो इन भीतरी शारीरिक अंगों के काम करने की क्षमता बहुत कम हो जाती है।

शरीर को सीधा रखने का मतलब यह कतई नहीं है कि हमें आराम पसंद नहीं है, बल्कि इसकी वजह यह है कि हम आराम को बिल्कुल अलग ढंग से समझते और महसूस करते हैं। आप अपनी रीढ़ को सीधा रखते हुए भी अपनी मांसपेशियों को आराम में रहने की आदत डाल सकते हैं। लेकिन इसके विपरीत, जब आपकी मांसपेशियां झुकीं हों, तो आप अपने अंगों को आराम में नहीं रख सकते। ऐसे में अंगों को आराम देने का कोई तरीका नहीं है। इसलिए हम अपने शरीर को इस तरह तैयार करते हैं, कि रीढ़ को सीधी रखते हुए हमारे शरीर का ढांचा और स्नायुतंत्र आराम की स्थिति में बने रहें।

यात्रा से पहले समझदारी से खाएं

हमारा शरीर हमारे खाए गए भोजन का एक संयोजित रूप होता है। इसलिए, आप जो खाते हैं, उसके प्रति चेतन रहते हुए आप यात्रा की थकान को कम कर सकते हैं। यात्रा के दौरान और उसके बाद कम से कम 24 घंटे तक अधिक पानी वाले खाद्य पदार्थों और भरपूर मात्रा में शुद्ध जल का सेवन करें। नशीले और उत्तेजक पदार्थों का तथा 3 घंटे से अधिक समय तक पेट में रहने वाले खाद्य पदार्थों, जैसे रेड मीट, कार्बोहाइड्रेट और वसा के मिश्रण और तले हुए भोजन से परहेज करें।

सूर्य की ऊर्जा का लाभ उठाएं

अंतर्राष्ट्रीय सफर के दौरान सबसे ज्यादा थकान उत्पन्न करने वाली चीज होती है, जेटलैग। जिस टाइम जोन में आप गए हैं, उसे लेकर आपकी भौतिक तथा ऊर्जा प्रणाली में भ्रम की स्थिति को ‘जेटलैग’ कहते हैं। इससे निपटने के लिए अपनी रीढ़ को दिन में दो से तीन बार, कम से कम 20 मिनट तक सीधे या पतले कपड़ों को पहन कर धूप दिखाते हुए ठीक किया जा सकता है। इससे दरअसल आपके शरीर में चल रही प्राकृतिक/जैविक घड़ी में पैदा हुआ भ्रम ठीक हो जाता है। इस प्रक्रिया और उप-योग अभ्यासों से जेटलैग की अवधि को कम किया जा सकता है।

नाड़ी शुद्धि

नाड़ी शुद्धि एक सरल यो‍ग प्रक्रिया है, जिसमें आपकी ऊर्जा को खुशहाली के सुरक्षा कवच में व्यवस्थित किया जाता है। इस प्रक्रिया में आपकी सांसों का इस्तेमाल किया जाता है। यह आपकी ऊर्जा प्रणाली में जरूरी संतुलन लाने में मदद करती है और आपके भौतिक शरीर को व्यवस्थि‍त करते हुए सफर के दुष्प्रभाव को कम करती है।

इस अभ्यास को यात्रा से पहले, यात्रा के दौरान और उसके बाद कितने भी समय तक किया जा सकता है। आप जहां गए हैं, अगर वहां के स्थानीय समय का अंतर 6 से 8 घंटों का हो, तो आपको अपने गंतव्य तक पहुंचने के बाद कम से कम तीन दिनों तक इसका अभ्यास करना चाहिए। यह आपको अधिक व्यवस्थित ऊर्जा प्रणाली से लाभ पहुंचाता है, जिसका आपकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है।

सद्गुरु:


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