Move to Jagran APP

शीतकालीन चारधाम यात्रा के प्रमुख पड़ाव स्थल पर सुविधाओं का अभाव

प्रदेश सरकार शीतकालीन चारधाम यात्रा के जरिए यात्रा मार्गो पर पसरे सन्नाटे को तोडऩे की कोशिश में जुटी है, मगर राज्य का पर्यटन मंत्रालय पंचप्रयागों में प्रमुख कर्णप्रयाग में यात्री सुविधाओं के विकास के प्रति उदासीन बना हुआ है। कर्णप्रयाग के धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण के प्रति यह उदासीनता सरकारी

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 19 Nov 2014 04:16 PM (IST)Updated: Wed, 19 Nov 2014 04:21 PM (IST)
शीतकालीन चारधाम यात्रा के प्रमुख पड़ाव स्थल पर सुविधाओं का अभाव

कर्णप्रयाग। प्रदेश सरकार शीतकालीन चारधाम यात्रा के जरिए यात्रा मार्गो पर पसरे सन्नाटे को तोडऩे की कोशिश में जुटी है, मगर राज्य का पर्यटन मंत्रालय पंचप्रयागों में प्रमुख कर्णप्रयाग में यात्री सुविधाओं के विकास के प्रति उदासीन बना हुआ है। कर्णप्रयाग के धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण के प्रति यह उदासीनता सरकारी दावों पर सवालिया निशान लगाती है।

loksabha election banner

इतना ही नहीं, इन धार्मिक स्थलों से जुड़े क्षेत्रों में सड़क, पेयजल व स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव भी पर्यटन विकास की राह में सबसे बड़ी अड़चन बना हुआ है। स्कंद पुराण के केदारखंड में वर्णित कर्णप्रयाग पौराणिक तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है। नगर पंचायत कर्णप्रयाग के प्रवेश द्वार पर कर्णशिला-कर्णमंदिर धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का प्रतीक मां उमादेवी मंदिर भी यहीं पर स्थित है। पुरातत्व विभाग के अनुसार यह मंदिर 18वीं सदी का है। हैरत की बात है कि इस पौराणिक व ऐतिहासिक नगरी में धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण की सूबे का पर्यटन मंत्रलय को कोई चिंता नहीं है।

पर्यटन विभाग ने इन दोनों मंदिरों के सौंदर्यीकरण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। नतीजा यह कि काले रंग के विशालकाय प्रस्तर से निर्मित उमादेवी मंदिर के गर्भगृह की छत जरा सी बारिश में टपकने लगती है। इससे मंदिर में रखी ऐतिहासिक महत्व की बेशकीमती मूर्तियों के खराब होने का खतरा बना हुआ है। कर्णशिला मंदिर परिसर में सरकारी व गैरसरकारी भवनों के निर्माण से पैदल मार्ग सिकुड़ते जा रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि संगम जाने वाले पैदल मार्ग को आपदा के नौ माह बाद भी पंचायत ठीक नहीं कर सकी। नगर पंचायत की ओर से संगम जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग तो बनाया गया, लेकिन बरसात में यह मार्ग भी क्षतिग्रस्त हो गया। संगम स्थित शिवालय का प्रांगण भी अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त है। इसकी वजह से यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को जोखिम उठाकर परिक्रमा करनी पड़ रही है। इसके अलावा अलकनंदा व पिंडर नदियों का अस्तित्व भी कूड़ा डालने से संकट में पड़ता जा रहा है।

कर्णमंदिर परिक्षेत्र में नगर पंचायत की ओर से पार्किंग बनाकर बनाई गई, मगर सीमित संसाधनों की वजह से नगर पंचायत भी इन धार्मिक स्थलों पर यात्री सुविधाओं के विकास में अपेक्षित सहयोग नहीं कर पा रही। दिलचस्प पहलू यह है कि चारधाम यात्रा हो या फिर इसी वर्ष शुरू हुई शीतकालीन चारधाम यात्रा, दोनों ही यात्राओं के लिए कर्णप्रयाग एक महत्वपूर्ण पड़ाव स्थल है। अफसोस यह कि कर्णप्रयाग में जरूरी सुविधाओं के अभाव में यात्रियों को खासी परेशानियों का सामना उठाना पड़ रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.