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हज के दौरान शैतान को पत्‍थर मारने का मतलब

सउदी अरब के मक्का में आज से हज की शुरुआत हो रही है। हज में शैतान को पत्थर मारने की रस्म काफी चर्चित है। ऐसे में आइए सबसे पहले जानें क्‍यों मारा जाता है कि‍ शैतान को पत्‍थर....

By shweta.mishraEdited By: Published: Wed, 30 Aug 2017 12:03 PM (IST)Updated: Wed, 30 Aug 2017 04:36 PM (IST)
हज के दौरान शैतान को पत्‍थर मारने का मतलब
हज के दौरान शैतान को पत्‍थर मारने का मतलब

तभी पूरा होता है हज: 
मुस्‍ल‍िम समुदाय की इस हज यात्रा में सऊदी अरब के मक्का में शैतान को पत्‍थर मारने के बाद ही इसे पूरा माना जाता है।  ईदु-उल- जुहा के पर्व पर शैतान को पत्‍थर मारने की रस्‍म काफी चुनौतीपूर्ण होती है। यहां पर मक्का के पास स्थित रमीजमारात में यह रस्‍म तीन द‍िन तक न‍िभाई जाती है। हज जाने वाले यात्री रमीजमारात में तीन बड़े खंबों पर पत्‍थर मारते हैं। ये खंबे ही शैतान माने जाते हैं। इसके बाद ही हज पर गए लोगों का हज पूरा होता है। इस रस्‍म को न‍िभाने के ल‍िए बड़ी संख्‍या में लोगों की भीड़ होती है। इस बार भी लाखों की संख्‍या में लोग हज के लि‍ए अरब के मक्का में पहुंचे हैं। हज पर मक्का में रमीजमारात में शैतान को पत्‍थर मारने की रस्‍म के पीछे यह मुख्‍य कारण माना जाता है। 

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अल्‍लाह ने कुर्बानी मांगी: 

कहते हैं क‍ि एक बार अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से कुर्बानी मांगी। इस दौरान कुर्बानी में उनको अल्‍लाह को अपनी सबसे पंसदीदा चीज देनी थी। ऐसे में हजरत इब्राह‍िम मुश्‍ि‍कल में पड़ गए क्‍योंक‍ि उन्‍हें सबसे प्रि‍य अपना बेटा इस्‍माइल था। यह बेटा उन्‍हें बुढ़ापे में हुआ था। हालांक‍ि हजरत इब्राहिम ने इसे अल्लाह का हुक्‍म मानकर अपने जिगर के टुकड़े की कुर्बानी देने का फैसला कर ल‍िया। इस दौरान जब वह अपने बेटे की कुर्बानी के ल‍िए जा रहे थे तो रास्‍ते में एक शैतान ने उनका रास्‍ता रोक ल‍िया और वह उनसे सवाल करने लगा। शैतान ने पूछा क‍ि जब वह अपने बेटे की कुर्बानी दे देंगे तो बुढ़ापे में उनकी देखभाल कौन करेगा। इस दौरान हजरत इब्राहिम सोच में पड़ गए लेकिन फ‍िर अल्‍लाह के हुक्‍म को पूरा करने के लि‍ए चल द‍िए। 

इसल‍िए बल‍ि और पत्‍थर: 

हजरत इब्राहिम इस दौरान क‍िसी तरह का अटकल नही चाहते थे। उन्‍हें लगा क‍ि कहीं उनकी भावनाएं न बीच में आ जाए और बेटे के मोह में वह कुर्बानी न दे पाएं। इसल‍िए उन्‍होंने सबसे पहले अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली। इसके बाद बेटे की कुर्बानी की प्रक्रिया अपनाई। ऐसे में जब हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखे खोली तो वह हैरान थे क्‍योंक‍ि उनका बेटा उनके सामने जीव‍ित खड़ा था। ज‍िस जगह पर उन्‍होंने अपने बेटे की कुर्बानी दी थी वहां पर एक मेमना पड़ा था। इसके बाद से ही बकरे व मेमनों की बल‍ि दी जाने लगी। वहीं कुर्बानी के बाद रमीजमारात में शैतान को पत्‍थर मारने वाली रस्‍म के पीछे उस शैतान को दोषी माना जाता है क‍ि उसने हजरत इब्राहिम को बरगलाने की कोश‍िश की थी। आज भी यह रस्‍म न‍िभाई जाती है। 


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