कब मिलेगी कुंभ मेले के मृतकों की आत्मा को शांति
गत फरवरी में कुंभ मेले के दौरान इलाहाबाद जंक्शन पर हुए हादसे की चल रही जांच घटना के 10 माह बाद भी सिफर है। रेलवे ने हादसे की जिम्मेदारी से साफ इंकार किया है। जिम्मेदारों की पहचान और उन्हें करनी का दंड न मिलने से हादसे में जान गंवाने वाले लोगों की आत्मा को शांति नहीं पहुंची है। 10 फरवरी को इलाहाबाद जंक्शन
इलाहाबाद। गत फरवरी में कुंभ मेले के दौरान इलाहाबाद जंक्शन पर हुए हादसे की चल रही जांच घटना के 10 माह बाद भी सिफर है। रेलवे ने हादसे की जिम्मेदारी से साफ इंकार किया है। जिम्मेदारों की पहचान और उन्हें करनी का दंड न मिलने से हादसे में जान गंवाने वाले लोगों की आत्मा को शांति नहीं पहुंची है।
10 फरवरी को इलाहाबाद जंक्शन पर हुई भगदड़ में करीब 42 श्रद्धालुओं व यात्रियों की जान चली गयी थी। घटना में कई लोग पुल से नीचे गिरकर और भीड़ के नीचे कुचलकर काल कवलित हो गये थे। मामले में प्रदेश सरकार ने न्यायिक जांच शुरू करायी थी, जबकि रेलवे ने भी घटना की पड़ताल के लिए टीम गठित की थी। दोनों जांचों का नतीजा अभी नहीं आया है। सोमवार को पत्रकार वार्ता के दौरान डीआरएम हरीन्द्र राव से कुंभ मेला हादसे की बावत सवाल पूछे गए, तो उन्होंने हादसे की जिम्मेदारी रेलवे की होने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने रेलवे को 'क्लीनचिट' देते हुए हादसे के लिए जीआरपी को जिम्मेदार ठहरा दिया। उनका कहना है कि जीआरपी ने ही सिविल लाइंस साइड से लोगों की भीड़ को अंदर आने दिया, जिससे हादसा हुआ। हालांकि भीड़ प्रबंधन में रेलवे की जिम्मेदारी के सवालों पर वह वाजिब जवाब नहीं दे पाये और लगातार रेलवे को दोषमुक्त व जीआरपी को दोषी करार देते रहे। उनका कहना है कि हादसे के मृतकों में एक को छोड़कर बाकी सबके परिजनों को मुआवजा दिया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि दोनों जांचें चल रही हैं, लेकिन अभी तक किसी भी समिति की रिपोर्ट नहीं आई है। रेलवे ने कुंभ मेले से कोई सबक लिया है और माघ मेले के लिए क्या तैयारियां की हैं? इस पर डीआरएम ने कहा कि भीड़ को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी रेलवे की नहीं है। इसके लिए पुलिस व प्रशासन को ही जिम्मेदारी लेनी होगी, रेलवे का काम यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाना है। मेला पर्वो में रेलवे संभावित भीड़ के आधार पर नहीं, बल्कि अपनी क्षमता के आधार पर ही ट्रेनें चला सकेगा।
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