Ayodhya Ram Mandir: जब गांधी जी ने अयोध्या में किए थे रामलला के दर्शन, 'तुलसीदास जैसा हठ करने का हुआ मन'
Ayodhya Ram Mandir रामनाम को जीवन का महामंत्र मानने वाले महात्मा गांधी भी एक बार जन्मभूमि के दर्शन के लिए अयोध्या गए थे।
Ayodhya Ram Mandir: जब महात्मा गांधी ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर में सीता-राम की मूर्ति के दर्शन किए थे..रामनाम को जीवन का महामंत्र मानने वाले महात्मा गांधी भी एक बार जन्मभूमि के दर्शन के लिए अयोध्या गए थे। गांधी जी की अयोध्या यात्रा का विवरण 'गांधी वांग्मय' खंड 19 पृष्ठ 461 पर दिया गया है जो 'नवजीवन अखबार' में मार्च 1921 में प्रकाशित हुआ था। महात्मा गांधी ने इस यात्रा का विवरण इस प्रकार बताया -
'अयोध्या में जहां भगवान रामचंद्र का जन्म हुआ कहा जाता है, उसी स्थान पर एक छोटा सा मंदिर है। जब मैं अयोध्या पहुंचा तो वहां मुझे ले जाया गया। साथी श्रद्धालुओं ने मुझे सुझाव दिया कि मैं पुजारी से विनती करूं कि वह भगवान सीता-राम की मूर्तियों के लिए पवित्र खादी का उपयोग करें, मैंने विनती तो की लेकिन उस पर अमल शायद ही हुआ हो। जब मैं दर्शन करने गया, तब मैंने मूर्तियों को मैली मलमल और जरी के वस्त्रों में पाया, यदि मुझ में तुलसीदास जी जितनी गाढ़ भक्ति की सामर्थ्य होती तो मैं भी उस समय तुलसीदास जी की तरह हठ पकड़ लेता।'
'कृष्ण मंदिर में तुलसीदास जी ने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक धनुष-बाण लेकर कृष्ण राम रूप में प्रकट नहीं होते, तब तक तुलसी मस्तक नहीं झुकेगा। लेखकों का कहना है कि जब गोस्वामी ने ऐसी प्रतिज्ञा की, तब चारों ओर उनकी आंखों के सामने भगवान रामचंद्र की मूर्तियां खड़ी हो गई और तुलसीदास जी का मस्तक सहज ही नत हो गया।'
'मंदिर में भगवान सीता-राम के दर्शन के समय अनेक बार मेरा ऐसा हठ करने का मन हुआ कि हमारे भगवान राम को जब पुजारी खादी पहनाकर स्वदेशी बनाएंगे, तभी हम अपना माथा झुकाएंगे लेकिन मुझे पहले तुलसीदास जी जितना तप करना होगा, तुलसीदास जी की अभूतपूर्व भक्ति को प्राप्त करना होगा।'
'गांधी वांग्मय' में महात्मा गांधी के जीवन के विभिन्न काल खंडों की विभिन्न स्मृतियों का विवरण संकलित है। इनका संकलन नवजीवन ट्रस्ट, अहमदाबाद गुजरात द्वारा किया गया है। इसके खंड 19 में नवंबर 1920 से लेकर अप्रैल 1921 के विवरण दर्ज हैं, वर्ष 1966 में इस खंड का प्रकाशन विभाग सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया गया है।