नई दिल्ली, palmistry: पंडित देवनारायण बताते हैं कि पर्वतों की स्थिति उनके उभार और निश्चित स्थान पर उनकी मौजूदगी से किसी व्यक्ति की भौतिक, मानसिक और नैतिक प्रवृत्ति का पता चल सकता है। पर्वत मनुष्य की आत्मा के रहस्यों की कुंजी कहे जाते हैं। यह पर्वत 8 प्रकार के होते हैं। बृहस्पति पर्वत, शनि पर्वत, सूर्य पर्वत, बुध पर्वत, उच्च मंगल पर्वत, चंद्र पर्वत, शुक्र पर्वत, और निम्न मंगल पर्वत।

बृहस्पति पर्वत

बृहस्पति पर्वत पहली उंगली के मूल और मस्तिष्क रेखा के मध्य स्थित होता है। अगर यह पहली उंगली की ओर ज्यादा खिसका हुआ हो, तो ऐसे लोगों में अहंकार और गर्व की भावना होती है। अगर यह शनि पर्वत की ओर हो तो ऐसे लोग संकोची होते हैं। हृदय रेखा के पास होने पर व्यक्तियों में प्रेम के प्रति गर्व की भावना होती है। जबकि मस्तिष्क रेखा की तरफ हो तो प्रतिभा पर गर्व की भावना पैदा करता है। वही बृहस्पति पर्वत जीवन रेखा की ओर होने पर परिवार में गर्व अनुभव कराता है।

शनि पर्वत दूसरी उंगली के मूल में ह्रदय रेखा से के निकट दूसरी और तीसरी उंगली के बीच स्थित होता है। अगर यह दूसरी उंगली की ओर हो तो ऐसे व्यक्ति एकांत प्रेमी होते हैं। बृहस्पति पर्वत की तरफ हो तो उनमें झूठा अहंकार होता है। सूर्य पर्वत की ओर जाने पर स्वास्थ्य अच्छा रहता है। अगर हृदय रेखा की ओर खिसक जाए तो प्रेम में हमेशा आशंकित रहता है।

सूर्य पर्वत

यह तीसरी उंगली के मूल में ह्रदय रेखा और तीसरी चौथी उंगली के बीच स्थित होता है। यदि सूर्य पर्वत तीसरी उंगली की ओर होता है तो लोगों के प्रति सदव्यवहार रखने वाला बनाता है। वहीं शनि पर्वत की ओर होने पर पशुओं से दिखावटी प्रेम बढ़ाता है। बुध पर्वत की ओर होने पर व्यक्ति की कलात्मक प्रतिभा का स्मार्ट अनुभव होता है। हृदय रेखा की ओर हो तो दया भाव होता है।

बुध पर्वत

चौथी उंगली के मूल में हृदय रेखा और हाथ के गद्दी वाले सिरे के बीच में बुध पर्वत होता है। जिन लोगों का बुध पर्वत चौथी उंगली की ओर होता है, उनमें विनोद की भावना, बात करने की कुशलता पाई जाती है‌ सूर्य पर्वत की ओर होने पर इनके भाषण में लच्छेदार भाषा का प्रयोग बढ़ जाता है। यह कला से जुड़े हुए व्यवसाय में आगे बढ़ते हैं। हाथ के सिरे की ओर होने पर ऐसे लोगों को बिजनेस में सफलता मिलती है। जबकि उच्च मंगल पर्वत की ओर आने पर यह पेशेवर योद्धा या युद्ध से जुड़े सामान के व्यवसायी बनते हैं।

उच्च मंगल पर्वत

ये बुध पर्वत के एकदम नीचे हाथ के पार्श्व भाग के साथ-साथ हृदय और मस्तिष्क रेखा के बीच के स्थान को घेरता है। जिनका उच्च मंगल पर्वत हाथ के सिरे की ओर होता है, वह बड़े जीवट वाले हिम्मती और साहसी होते हैं। जबकि हथेली की ओर होने पर यह उग्र स्वभाव के हो जाते हैं। चंद्र पर्वत की ओर आने पर ऐसे लोगों में सम्मोहन शक्ति बढ़ जाती है।

चंद्र पर्वत

यह उच्च मंगल पर्वत के ठीक नीचे, हाथ के पार्श्व भाग के साथ साथ, मणिबंध के पास स्थित होता है। जिनका चंद्र पर्वत उच्च मंगल पर्वत की ओर होता है वह सुनियंत्रित, कल्पना शक्ति से भरपूर और संगीत से प्रेम करने वाले होते हैं। वही मणिबंध की ओर खिसकने पर यह लोग जंगली कल्पनाओं वाले बन जाते हैं। जबकि अगर वास्तविक हथेली की तरफ बढ़ते हैं, तो इनकी कल्पना शक्ति में आक्रामकता उभर आती है।

शुक्र पर्वत

सामान्य गठन और रेखाओं वाले हाथ में यह पर्वत अंगूठे के मूल और जीवन रेखा, पहले मणिबंध अंगूठे और पहली उंगली से बने कोण के बीचो-बीच स्थित होता है। शुक्र पर्वत अंगूठे की ओर होता है तो भावनाएं इच्छाशक्ति पर हावी हो जाती हैं। जबकि मणिबंध की ओर हो तो कामुकता बढ़ती है।

निम्न मंगल पर्वत

इस पर्वत को देखकर पहचानना अक्सर कठिन हो जाता है। क्योंकि इसका अत्यधिक उभरे रूप में मिलना मुश्किल ही होता है। यह बृहस्पति पर्वत के मूल में जीवन रेखा के आरंभिक बिंदु तक फैला होता है। अगर यह शुक्र पर्वत की ओर हो तो प्रेम में सहनशक्ति की भावना बढ़ा देता है। बृहस्पति पर्वत की ओर हो तो गर्व और सहनशक्ति दोनों को बढ़ाता है। वहीं अंगूठे की ओर होने पर उत्कृष्ट इच्छाशक्ति के साथ सहनशक्ति बढ़ जाती है।

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Edited By: Jagran News Network