Avakahada Chakra: क्या है अवकहड़ा चक्र? जानें क्या नाम से हो सकती है दोस्त और दुश्मन की पहचान
Avakahada Chakra शास्त्रों की मानें तो नाम हमारी पहचान तो है ही साथ ही नामाक्षर से पता चल सकता है कि किस नामाक्षर के व्यक्ति आपके शत्रु बन सकते हैं और कौन से नाम से पुकारने पर आपकी मित्रता और भी गहरी हो सकती है।
Avakahada Chakra: शेक्सपीयर ने कहा है कि नाम में क्या रखा है। परंतु शास्त्रों की मानें तो नाम हमारी पहचान तो है ही, साथ ही नामाक्षर से पता चल सकता है कि किस नामाक्षर के व्यक्ति आपके शत्रु बन सकते हैं और कौन से नाम से पुकारने पर आपकी मित्रता और भी गहरी हो सकती है। ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा के अनुसार, जानिए अवकहडा चक्र क्या है और इसका उपयोग कैसे आप अपने हित में कर सकते है।
वर्ग विन्यास-
नामाक्षरों के आधार पर पारस्परिक मित्रता और शत्रुता देखना ही वर्ग विन्यास कहलाता है। हिन्दी वर्णमाला के सभी स्वरों और व्यंजनो को आठ वर्गो में क्रमानुसार बांटा गया है, वो निम्नलिखित है।
विभिन्न वर्ग-
गरुड़ वर्ग : अ, इ, ऊ, ए, ओ
मार्जार वर्ग : क, ख, ग, घ, ङ
सिंह वर्ग : च, छ, ज, झ, ञ
श्वान वर्ग : ट, ठ, ड, ढ, ण
सर्प वर्ग : त, थ, द, ध, न
मूषक वर्ग : प, फ, ब, भ, म
मृग वर्ग : य, र, ल, व
मेष वर्ग : श, ष, स, ह
शत्रु वर्ग
प्रत्येक वर्ग से पांचवा वर्ग शत्रु वर्ग का होता है। गरुड़ और सर्प आपस में पारस्परिक शत्रु हैं। मार्जार और मूषक आपस में पारस्परिक शत्रु है। सिंह और मृग आपस में पारस्परिक शत्रु हैं। श्वान और मेष आपस में पारस्परिक शत्रु हैं, इसलिए जातक को अपनी नाम राशि के अनुसार वर्ग के पारस्परिक शत्रु वर्ग के जातक या शहर या कंपनी से बचना चाहिए ।
मित्र वर्ग
इसी प्रकार यदि नामाक्षर 4 वर्ग में आता है तो वह पारस्परिक मित्र होता है। यथा किसी का नाम पुष्पांजलि है तो कमल नाम के व्यक्ति के साथ उनकी पारस्परिक मित्रता होगी।
जाने कैसे देखें अवकहड़ा
उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति का नाम “विनय” है, जो ‘मृग’ वर्ग में आता है और मृग का शत्रु वर्ग ‘सिंह’ है, जिस के अक्षर च, छ, ज, झ, ञ है। इन नाम के जातक जैसे चरणसिंह, चन्दन आदि नामों से इन्हें बचना चाहिए और इसी तरह से शहर जैसे चंडीगढ़, चेन्नई, छतरपुर, झांसी आदि शहर में सफलता मिलने में परेशानी हो सकती है। तो इस प्रकार से आप अपने शत्रु और मित्र नामाक्षर को आसानी से जान सकते हैं।
डिसक्लेमर
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