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शिवलिंग पर जल चढ़ाने का अर्थ है परम तत्व में प्राण विसर्जन करना

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का अर्थ है परम तत्व में प्राण विसर्जन करना। स्फटिक लिंग सर्वकामप्रद है। पारा लिंग से धन, ज्ञान, ऐश्वर्य और सिद्धि प्राप्त करता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 08 Apr 2017 05:17 PM (IST)Updated: Mon, 10 Apr 2017 09:48 AM (IST)
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का अर्थ है परम तत्व में प्राण विसर्जन करना
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का अर्थ है परम तत्व में प्राण विसर्जन करना

 हिंदू धर्म में 18 पुराण हैं। सभी पुराण हिंदू भगवानों की कहानियां बताते हैं। कुछ समान बातों के अलावे सभी कुछ हद तक अलग-अलग कहानियां बयां करते हैं। इसमें त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के जन्म के साथ ही देवताओं की भी कहानियां सम्मिलित हैं। वेदों में भगवान को निराकार रूप बताया है जबकि पुराणों में त्रिदेव सहित सभी देवों के रूप का उल्लेख होने के साथ ही उनके जन्म की कहानियां भी हैं।

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भगवान शिव को ‘संहारक’ और ‘नव का निर्माण’ कारक माना गया है। अलग-अलग पुराणों में भगवान शिव और विष्णु के जन्म के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को स्वयंभू (सेल्फ बॉर्न) माना गया है जबकि विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु स्वयंभू हैं। शिव पुराण के अनुसार एक बार जब भगवान शिव अपने टखने पर अमृत मल रहे थे तब उससे भगवान विष्णु पैदा हुए जबकि विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं। विष्णु पुराण के अनुसार माथे के तेज से उत्पन्न होने के कारण ही शिव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं।

शिवलिंग भगवान शंकर का प्रतीक है। शिव का अर्थ है - 'कल्याणकारी'। लिंग का अर्थ है - 'सृजन'। सर्जनहार के रूप में उत्पादक शक्ति के चिन्ह के रूप में लिंग की पूजा होती है। स्कंद पुराण में लिंग का अर्थ लय लगाया गया है। लय ( प्रलय) के समय अग्नि में सब भस्म हो कर शिवलिंग में समा जाता है और सृष्टि के आदि में लिंग से सब प्रकट होता है। लिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और ऊपर प्रणवाख्य महादेव स्थित हैं।

वेदी महादेवी और लिंग महादेव हैं। अकेले लिंग की पूजा से सभी की पूजा हो जाती है। पहले के समय में अनेक देशों में शिवलिंग की उपासना प्रचलित थी। जल का अर्थ है प्राण। शिवलिंग पर जल चढ़ाने का अर्थ है परम तत्व में प्राण विसर्जन करना। स्फटिक लिंग सर्वकामप्रद है। पारा लिंग से धन, ज्ञान, ऐश्वर्य और सिद्धि प्राप्त करता है।


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