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गंगा में जा रहा हरिद्वार व वाराणसी का सीवेज

हरिद्वार व वाराणसी में सीवेज आज भी गंगा को मैला कर रहा है। हरिद्वार में 35 फीसद और वाराणसी में 65 फीसद गैर उपचारित सीवेज सीधे गंगा में बहाया जा रहा है। यह बात केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की संसदीय समिति के अध्यक्ष हुकुम सिंह ने कही। वह मंगलवार को

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2016 10:58 AM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2016 11:08 AM (IST)
गंगा में जा रहा हरिद्वार व वाराणसी का सीवेज

लखनऊ। हरिद्वार व वाराणसी में सीवेज आज भी गंगा को मैला कर रहा है। हरिद्वार में 35 फीसद और वाराणसी में 65 फीसद गैर उपचारित सीवेज सीधे गंगा में बहाया जा रहा है। यह बात केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की संसदीय समिति के अध्यक्ष हुकुम सिंह ने कही। वह मंगलवार को बोर्ड द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय चित्रकला प्रतियोगिता को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने पानी की बर्बादी और प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बड़े-बड़े नामचीन अस्पताल अपना कचरा जमीन में डाल रहे हैं। ऐसे उद्योग जिनका अरबों रुपये का टर्न ओवर है, नदियों को मैला कर रहे हैं। इससे निपटने के लिए सख्त कानून बनाया जाएगा। हुकुम सिंह ने कहा कि सरकारें किसानों को फ्री बिजली देने का प्रलोभन देती हैं, इससे पानी की बड़े पैमाने पर बर्बादी हो रही है। गांव में हर घर में सबमर्सिबल लगे हुए हैं और लोग जमकर पानी बर्बाद कर रहे हैं। केंद्रीय भूमिजल बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक वाई बी कौशिक ने भी गिरते भूजल स्तर पर चिंता व्यक्त की।

एक करोड़ टन चीनी सरप्लस
हुकुम सिंह ने कहा कि एक करोड़ टन चीनी व दस मिलियन टन गेहूं का उत्पादन सरप्लस हुआ है। चीनी को निर्यात करने की भी स्थिति नहीं है, लेकिन गन्ने की खेती के लिए अत्यधिक जल दोहन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जबर्दस्त जल संकट है।

हवा में बातें नहीं, धरातल पर करें काम : डा.जोशी
हवा में बातें करने से काम नहीं चलेगा। ये इस्टीमेट बना दिया, वहां जल्द काम शुरू हो जाएगा, इससे काम नहीं चलेगा। जो काम आप कर रहे हैं, वह धरातल पर दिखना भी चाहिए। यह हिदायत इस्टीमेट कमेटी के अध्यक्ष व सांसद डा.मुरली मनोहर जोशी ने दी। वह गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए आयोजित बैठक में अफसरों से मुखातिब थे।

उन्होंने कहा गंगा में लगातार प्रदूषण का बढ़ना गंभीर बात है। इसे कैसे कम किया जाए, इस पर गंभीरता से विचार करने के साथ ही जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जल निगम के अफसरों से कहा कि अगर अभी न चेते तो नमामि गंगे योजना का हश्र भी वहीं होगा जो अन्य योजनाओं का हुआ है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों ने गंगा में प्रदूषण कम होने का दावा किया और आंकड़े भी पेश किए। हालांकि कमेटी अध्यक्ष और सदस्यों ने कहा कि आंकड़ों की बाजीगरी नहीं चलेगी। जल संसाधन मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजेंद्र सिंह ने नमामि गंगे योजना में प्रस्तावित कार्यों का प्रस्तुतिकरण किया।

अध्यक्ष और सदस्यों के गंगा प्रदूषण पर पूछे गए तीखे सवालों से अफसर लगातार बचने की कोशिश करते रहे, हालांकि वे इसमें कामयाब नहीं हुए, क्योंकि डॉ. जोशी बार-बार उनसे शहर में बन रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों, गंगा में गिरते सीवर को रोकने के उपाय, टेनरियों का कचरा गंगा में जाने से रोकने के लिए उठाए गए कदम पर सवाल करते रहे।


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