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आज है स्वामी विवेकानंद की 113वीं पुण्यतिथि

आज स्वामी विवेकानंद की 113वीं पुण्यतिथि है। प्रस्तुत है स्वामीजी के जीवन से जुड़ा एक रोचक संस्मरण - स्वामी विवेकानंद को विदेश जाने से पहले एक बार खेतड़ी (राजस्थान) जाना पड़ा क्योंकि वहां के महाराजा की कोई संतान नहीं थी और स्वामीजी के आशीर्वाद से पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई थी। इसी

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2015 11:08 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2015 12:00 PM (IST)
आज है स्वामी विवेकानंद की 113वीं पुण्यतिथि

आज स्वामी विवेकानंद की 113वीं पुण्यतिथि है। प्रस्तुत है स्वामीजी के जीवन से जुड़ा एक रोचक संस्मरण -

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स्वामी विवेकानंद को विदेश जाने से पहले एक बार खेतड़ी (राजस्थान) जाना पड़ा क्योंकि वहां के महाराजा की कोई संतान नहीं थी और स्वामीजी के आशीर्वाद से पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई थी। इसी की खुशी में एक उत्सव मनाया जा रहा था। दरबार में कई सामंत, प्रजाजन और कलाकार उपस्थित थे।

कार्यक्रम के आखिरी में एक गणिका (वेश्या) अपना नृत्य औऱ गीत प्रस्तुत करने के लिए उपस्थित हुई। स्वामीजी तत्काल सभाग्रह से उठकर अपने कक्ष में चले गए। गणिका को यह अच्छा नहीं लगा और उसने मधुर कंठ से गीत गाया, 'प्रभुजी मोरे अवगुण चित न धरो'।

स्वामीजी ने जब यह गीत सुना तो वे अपने कमरे से वापस सभाग्रह में आए और कार्यक्रम में उपस्थित रहे। स्वामीजी ने सोच, मैं वितराग संन्यासी हूं और मुझमें नारी और पुरुष के प्रति यह भेदबुद्धि नहीं होना चाहिए।


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