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Dev Uthani Ekadashi 2020 आज है देवउठनी एकादशी, क्यों होता है इस दिन तुलसी विवाह

Dev Uthani Ekadashi 2020 ज्योतिष ग्रंथो और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार प्रबोधिनी एकादशी को देव उठनी एकादशी और देवुत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से विवाह गृह प्रवेश तथा अन्य सभी प्रकार के मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 07:13 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 08:15 AM (IST)
Dev Uthani Ekadashi 2020 आज है देवउठनी एकादशी, क्यों होता है इस दिन तुलसी विवाह
आज है देवउठनी एकादशी, क्यों होता है इस दिन तुलसी विवाह

Dev Uthani Ekadashi 2020: ज्योतिष ग्रंथो और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार प्रबोधिनी एकादशी को देव उठनी एकादशी और देवुत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से विवाह, गृह प्रवेश तथा अन्य सभी प्रकार के मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। बुधवार 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी है और इस दिन पूरे देश में भरमार शादियां होने जा रही हैं। माना जाता है कि भगवान श्रीविष्णु ने भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को महापराक्रमी शंखासुर नामक राक्षस को लम्बे युद्ध के बाद समाप्त किया था और थकावट दूर करने के लिए क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर सो गए थे और चार मास पश्चात फिर जब वे उठे तो वह दिन देव उठनी एकादशी कहलायी। इस दिन भगवान श्रीविष्णु का सपत्नीक आह्वान कर विधि विधान से पूजन करना चाहिए। ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा के अनुसार इस दिन उपवास करने का विशेष महत्व है और माना जाता है कि यदि इस एकादशी का व्रत कर लिया तो सभी एकादशियों के व्रत का फल मिल जाता है और व्यक्ति सुख तथा वैभव प्राप्त करता है और उसके पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त यदि आप व्रत करने में असमर्थ है तो भी आप कुछ उपायों को ध्यान में रखकर इस दिन श्रीहरि का आशीर्वाद पा सकते है।

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पितृदोष से पीड़ित लोगों को इस दिन विधिवत व्रत करना चाहिए। पितरों के लिए यह उपवास करने से अधिक लाभ मिलता है जिससे उनके पितृ नरक के दुखों से छुटकारा पा सकते हैं।

इस दिन भगवान विष्णु या अपने इष्ट-देव की उपासना करना चाहिए। इस दिन "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः"मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता है।

शालीग्राम के साथ तुलसी का आध्यात्मिक विवाह देव उठनी एकादशी को होता है। इस दिन तुलसी की पूजा का महत्व है। तुलसी दल अकाल मृत्यु से बचाता है। शालीग्राम और तुलसी की पूजा से पितृदोष का शमन होता है।

इस दिन देवउठनी एकादशी की पौराणिक कथा का श्रावण या वाचन करना चाहिए। कथा सुनने या कहने से पुण्य की प्राप्ति भी होती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '

 


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