आज ब्रज में होरी रे रसिया...
ब्रज में फाग की मस्ती छा रही है। ब्रज की होली के अकल्पनीय आनंद का रस बरस रहा है। अबीर गुलाल से बदरा लाल हो रहे हैं। द्वारिकाधीश मंदिर में जब ठाकुरजी को आज ब्रज में होरी रे रसिया सुनाया गया तो श्रद्धालुओं पर ब्रज की होली का जुनून छा
मथुरा। ब्रज में फाग की मस्ती छा रही है। ब्रज की होली के अकल्पनीय आनंद का रस बरस रहा है।
अबीर गुलाल से बदरा लाल हो रहे हैं। द्वारिकाधीश मंदिर में जब ठाकुरजी को आज ब्रज में होरी रे रसिया सुनाया गया तो श्रद्धालुओं पर ब्रज की होली का जुनून छा गया। सब जग होरी या ब्रज होरा कैसो ये देश निगोरा की कहावत चरितार्थ होती रही।
भले सभी जगह केवल एक-दो दिन होली का आनंद रहता है, लेकिन ब्रज में तो चालीस दिन लोग होली की मस्ती में डूबे रहते हैं। मंदिरों का वातावरण अबीर गुलाल से सतरंगी रहता है। बुधवार को राजभोग के दर्शन के समय मंदिर के मुखिया ब्रजेश कुमार तथा सुधीर के द्वारा ठाकुरजी को अबीर गुलाल से होली खिलाई गई तो सभी होली के रंग में रंग गए। इसी के साथ द्वारिकाधीश मंदिर में ठाकुरजी को रसिया सुनाने का क्रम भी शुरू हो गया। चलो बरसाने होली खेलन, होली खेलन आए हैं नटवर नंद किशोर आदि होली के रसियाओं पर सभी झूम रहे थे।
द्वारिकेश रसिया मंडल के कलाकारों ने ब्रज के रसियाओं का ढप की थाप पर गायन कर जनसमूह का मनमोह लिया। ठाकुरजी को सुंदर-सुंदर रसिया सुनाए गए। यह क्रम अब होली तक प्रतिदिन राजभोग के दर्शन के समय चलता रहेगा।
कौन निभाएगा पंडे की जिम्मेदारी?-
प्रहलाद की नगरी फालैन में पंडा मेले को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, लेकिन गांव जटवारी में फिलहाल सन्नाटा पसरा हुआ है। संतोष पंडा की मौत के बाद अभी तक कोई भी व्यक्ति पंडा की जिम्मेदारी लेने के लिए आगे नहीं आया है। इससे मेले के आयोजन को लेकर आशंकाओं के बादज मंडरा रहे हैं।
शेरगढ़ के गांव जटवारी में भी होलिका दहन के दौरान पंडा मेला का आयोजन होता है। यहां भी प्रहलाद कुंड के किनारे पंडा विधिवत पूजा कर धधकते अंगारों से निकलता है। हालांकि इस मेले की शुरुआत गांव फालैन के पंडा मेले के साथ ही होती है, लेकिन पंडा रात में ही निकल जाता है। काफी समय से जटवारी में संतोष पंडा ही इसकी भूमिका कर रहा था। करीब डेढ़ माह पहले संतोष पंडा की हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई थी। अब जब फालैन में पंडा मेले की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन जटवारी में अभी भी वीरानी ही छाई हुई है। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि भंवर सिंह भंवरी ने बताया कि पंडा को लेकर दो बार गांव में पंचायत हो चुकी है, लेकिन अभी तक पंडा की माला धारण करने के लिए समाज का कोई भी व्यक्ति सामने नहीं आया है। इससे ऐसा लगता है कि कहीं पंडा मेला की कड़ी इस बार टूट न जाए।
स्थान भी बना कारण - जटवारी पंडा मेले का स्थान काफी छोटा है। पर्याप्त स्थान का अभाव मेले के बंद होने का
कारण बन सकता है। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि के मुताबिक ग्रामीण स्थान बदलने की मांग भी करते आ रहे हैं।