स्वामी हरिदास ने दी थी तानसेन और बैजू बाबरा को संगीत की शिक्षा
स्वामी हरिदास ने तानसेन और बैजू बाबरा को संगीत की शिक्षा दी थी। हरिदास के वंश में श्रीमद भागवत का परायण व भक्तिमय संगीत के गायन की परंपरा है। इस बीच राधाष्टमी एवं संत शिरोमणि संगीत सम्राट स्वामी हरिदास महाराज की जयंती की पूर्व संध्या पर उनके अनुयायी व वंशजों ने संगोष्ठी की।
मथुरा/वृंदावन, जागरण संवाददाता। स्वामी हरिदास ने तानसेन और बैजू बाबरा को संगीत की शिक्षा दी थी। हरिदास के वंश में श्रीमद भागवत का परायण व भक्तिमय संगीत के गायन की परंपरा है। इस बीच राधाष्टमी एवं संत शिरोमणि संगीत सम्राट स्वामी हरिदास महाराज की जयंती की पूर्व संध्या पर उनके अनुयायी व वंशजों ने गुरुवार को संगोष्ठी की।
संगोष्ठी में आचार्य अतुल कृष्ण गोस्वामी ने कहा कि स्वामीजी ने जाति-पाति से ऊपर उठकर बादशाह अकबर को निधिवन में निज वृंदावन के दर्शन कराये तथा तानसेन, बैजू बाबरा को संगीत की शिक्षा दी।
श्याम बिहारी गोस्वामी ने कहा कि स्वामी हरिदास के वंश में दो परंपराएं रही हैं। श्रीमद्भागवत का परायण व भक्तिमय संगीत का गायन। स्वामीजी के बाबा गदाधर महाराज व पिता आशूधीर महाराज श्रीमद भागवत के प्रकांड विद्वान थे।
स्वयं स्वामी हरिदास महाराज लुप्त हुए भक्तिमय शास्त्रीय संगीत के जन्मदाता थे। इसी संगीत के द्वारा उन्होंने ठा. बांकेबिहारी को प्रगट कर दिया। स्वामी जी के लघु भ्राता जगन्नाथ गोस्वामी ने सर्वप्रथम निधिवन राज में स्वामी जी जयंती राधाष्टमी पर संगीत सम्मेलन का शुभारंभ किया था। यह पारंपरिक आयोजन 15 से 17 सितंबर तक सनेहबिहारी मंदिर प्रांगण में होगा। अशोक गोस्वामी ने कहा कि स्वामी हरिदास जैसा रसिक संत पृथ्वी पर अब तक दूसरा नहीं हुआ।
इससे पूर्व संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुये आचार्य अतुल कृष्ण गोस्वामी द्वारा स्वामीजी के चित्रपट का पूजन-अर्चन कर माल्यार्पण किया। बाद में अनुयायी संतों ने समाज गायन किया।
संगोष्ठी में बिहारीलाल वशिष्ठ, अरविंद गोस्वामी, प्रदीप, अजय, बालकृष्ण गौतम, विवेक गोस्वामी, मयंक शर्मा, जगदीश नीलम, भीकचंद, गोपाल, बालो पंडित, श्रीराम शर्मा आदि मौजूद रहे।
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