श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में गड़बड़ी पर दबाए जाते रहे जांच के आदेश
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में फिलहाल भले ही घपलों-घोटालों को लेकर चर्चा में हो लेकिन इससे पहले ऐसे मामले नियम कानून को ताक पर रख दबाए जाते रहे। इसके लिए शासन स्तर पर जांच की कवायद और आरोपियों को निर्णय आने तक मंदिर के कार्यो से दूर रखने के आदेशों की
By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2015 02:41 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2015 02:44 PM (IST)
वाराणसी । श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में फिलहाल भले ही घपलों-घोटालों को लेकर चर्चा में हो लेकिन इससे पहले ऐसे मामले नियम कानून को ताक पर रख दबाए जाते रहे। इसके लिए शासन स्तर पर जांच की कवायद और आरोपियों को निर्णय आने तक मंदिर के कार्यो से दूर रखने के आदेशों की भी अनदेखी की जाती रही। इसमें एक मामला मंदिर के चर्चित सहायक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जन का था।
वर्ष 2011 में सोनभद्र के संतोष देव पांडेय की लोकायुक्त को की गई शिकायत का संज्ञान लेते हुए प्रमुख सचिव धर्मार्थ कार्य विभाग की ओर से 2012 में भ्रष्टाचार निवारण संगठन से जांच का आदेश दिया गया था। इसकी जांच पूरी होने तक सहायक को मंदिर दफ्तर से दूर रखने का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी के जाते ही सहायक को पुन: मंदिर में प्रवेश दे दिया गया। हालांकि इस तरह के मामले तो कई हैं लेकिन सहायक से जुड़े मामले का हवाला देते हुए दानदाता अजय शर्मा ने मुख्य कार्यपालक अधिकारी का ध्यान इस ओर दिलाया है। इसमें मंदिर प्रशासन पर गड़बड़ियों पर कार्रवाई की बजाय छिपाने का आरोप लगाया गया है। साथ ही सावन माह व अन्य दिनों में भोग, प्रसाद, दूध , भंडारे, दैनिक पेटी में की गई वित्तीय अनियमितताओं के आरोप का भी यही हश्र होने की आशंका जताई है।
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