Move to Jagran APP

योग से संभव है आकाश गमन और इतर लोक की यात्रा

आकाश गमन भी योग द्वारा संभव था और ऋषिगण ऐसा कर लेते थे। योगसूत्र-42 में महर्षि पतंजलि कहते हैं कि शरीर और आकाश के संबंध में संयम करने अथवा रुई आदि हल्की वस्तु में संयम करने से योगी आकाशगमन कर सकता है।

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 07:25 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 07:25 PM (IST)
योग से संभव है आकाश गमन और इतर लोक की यात्रा
योग से संभव है आकाश गमन और इतर लोक की यात्रा

प्राचीन सनातन ग्रंथों में पृथ्वी से इतर लोकों की यात्र किए जाने के कई उल्लेख आए हैं। रामचरितमानस के अनुसार अरण्यकांड में भगवान श्रीराम जब शरभंग मुनि के आश्रम पहुंचते हैं, तब मुनि कहते हैं, ‘जात रहेउं विरंचि के धामा। सुनेउ स्रवन वन अइहइ रामा।। चितवत पंथ रहेउ दिनराती। अब प्रभु देखि जुड़ानी छाती।।’ अर्थात ‘मैं तो ब्रह्मलोक जा रहा था, किंतु सुना कि आप वन में पधार रहे हैं तो रुक गया। दिन-रात आपकी बाट जोहता रहा, अब आपका दर्शन करके छाती ठंडी हो गई।’

loksabha election banner

गीता के नवम स्कंध में ककुद्मी की कथा आई है। इस कथा के अनुसार वह अपनी पुत्री रेवती के लिए वर तलाशने के क्रम में विचार-विमर्श हेतु ब्रह्मा जी के पास गए। इन कथाओं को अतिरंजित या काल्पनिक कहना सत्य की खोज से मुंह मोड़ना होगा। हमारा योगशास्त्र बहुत उन्नत था और तत्संबंधी ग्रंथों में ऐसी यौगिक क्रियाएं और विधियां उल्लिखित हैं, जिनसे अन्य लोकों का सम्यक ज्ञान हो जाता है। पातंजल योग दर्शन के विभूति पाद में कहा गया है कि सूर्य में संयम करने से 14 भुवनों की जानकारी हो जाती है और चंद्रमा में संयम करने से तारागण की सही स्थिति पता चल जाती है (सूत्र-26/27)। व्यासभाष्य में इसका विस्तार भी दिया है।

आकाश गमन भी योग द्वारा संभव था और ऋषिगण ऐसा कर लेते थे। योगसूत्र-42 में महर्षि पतंजलि कहते हैं कि शरीर और आकाश के संबंध में संयम करने अथवा रुई आदि हल्की वस्तु में संयम करने से योगी आकाशगमन कर सकता है। वह स्थूल से सूक्ष्म और सूक्ष्म से स्थूल में परिवर्तित होने की कला जान जाता है। अब यह ज्ञान केवल पढ़ लेने से हासिल और व्यवहार रूप में परिणत नहीं किया जा सकता है। अध्यात्म और योगविधि की उसी स्तर की ऊंचाइयों पर पहुंचकर हम उस सत्य का साक्षात्कार कर सकते हैं। वास्तव में यह गुरु गम्य है, किंतु है पूर्णतया सही। इन सभी पर काम होना चाहिए।

रघोत्तम शुक्ल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.