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Adhik Maas 2020: अधिमास में खरीदारी करने की नहीं है मनाही, जानें किस दिन पड़ रहा है कौन-सा योग

Adhik Maas 2020 अधिमास को लेकर लोगों के मन में भ्रम रहता है कि इन दिनों क्या करना चाहिए और क्या नहीं। अधिमास में ऐसे काम जो फल प्राप्ति की कामना से किए जाएं वो वर्जित होते हैं

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 07:30 AM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 10:07 AM (IST)
Adhik Maas 2020: अधिमास में खरीदारी करने की नहीं है मनाही, जानें किस दिन पड़ रहा है कौन-सा योग

Adhik Maas 2020: इस वर्ष अश्विन मास में ही अधिमास लग रहा है। जिस महीने में सूर्य संक्रान्ति नहीं होती है वो महीना अधिमास कहलाता है। बता दें कि अधिमास 32 महीने, 16 दिन और 4 घटी के अन्तर से आता है। इसे अधिक मास, मलमास, मलिम्लुच मास और पुरुषोत्तममास भी कहा जाता है। 12 महीनों में वरुण, सूर्य, भानु, तपन, चण्ड, रवि, गभस्ति, अर्यमा, हिरण्यरेता, दिवाकर, मित्र और विष्णु 12 मित्र होते हैं और अधिमास इनसे अलग होता है। यही कारण है कि इसे मलिम्लुच मास कहते हैं। इस वर्ष आश्विन मास मे ही अधिमास लग रहा है। यह 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक है।

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यह अधिमास 30 दिन का है। इन दिनों को लेकर लोगों के मन में भ्रम रहता है कि इन दिनों क्या करना चाहिए और क्या नहीं। अधिमास में ऐसे काम जो फल प्राप्ति की कामना से किए जाएं वो वर्जित होते हैं। अगर फल की आशा के बिना कोई काम किया जाता है तो वो इस मास में कर सकते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र से जानते हैं कि इन दिनों किन कामों को करना वर्जित है और किन कार्यों को किया सकता है। 

इन कार्यों को अधिमास में करना है वर्जित:

कुएँ, बावली, तालाब, और बाग आदि शुरू करना, किसी भी प्रयोजन के व्रतों का आरंभ और उद्यापन, नवविवाहिता वधू का प्रवेश, पृथ्वी, हिरण्य और तुला आदि के महादान, सोमयज्ञ और अष्टका श्राद्ध, गौका यथोचित दान, आग्रयण, उपाकर्म, वेदव्रत, अकिपन्न, देवप्रतिष्ठा, मंत्र दीक्षा, यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह मुण्डन, पहले कभी न देखे हुए देव तीर्थों का निरीक्षण, संन्यास, अग्निपरिग्रह, राजा के दर्शन, अभिषेक, प्रथम यात्रा, चातुर्मासीय व्रतों का प्रथमारम्भ, कर्णवेध जैसे कार्य अधिमास में वर्जित हैं।

इन कार्यों को अधिमास में करने की नहीं है मनाही:

तीव्र ज्वरादि प्राणघातक रोगादि की रुद्र जपादि अनुष्ठान, कपिल षष्ठी, वषट्कारवर्जित आहुतियों का हवन, ग्रहण सम्बन्धी श्राद्ध,दान, पुत्र जन्म के कृत्य और पितृमरण के श्राद्धादि तथा गर्भाधान, पुंसवन, और सीमन्त जैसे संस्कार इस समय में किए जा सकेत हैं। इन दिनों नए कपड़े खरीदना और पहनना, आभूषण क्रय, फ्लैट, मकान, टी. वी, फ्रीज, कूलर, ए.सी., नया वाहन और नित्य उपयोग की वस्तुओं को खरीदने की मनाही नहीं है।

मुहूर्तचिन्तामणि ग्रन्थ में वस्तुओं को खरीदने बेचने के लिए कई मुहूर्त बताए गए हैं। इसकी जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं।

स्थिर संज्ञक मुहूर्त-18, 26 सितंबर, 7, 15 अक्टूबर और सभी रविवार। इन दिनों में शिक्षा से संबंधित खरीदारी या इंवेस्टमेंट, सगाई-रोका से जुड़े काम और नए कपड़े या ज्वेलरी बनाने जैसे कार्य किए जा सकेत हैं। ये दिन शपथ ग्रहण एवं पदभार ग्रहण के लिए भी शुभ हैं।

चर संज्ञक मुहूर्त- 20, 27, 28, 29 सितंबर, 10 अक्टूबर और सभी सोमवार। इन दिनों में कार, बाइक सहित अन्य वाहन खरीदने या बुक करने के लिए अच्छे हैं।

उग्र संज्ञक मुहूर्त- 25, 30 सितंबर, 5, 13, 14 अक्टूबर और सभी मंगलवार। इन दिनों किसी भी तरह का शस्त्र खरीदने के लिए बुकिंग की जा सकती है।

मिश्र संज्ञक मुहूर्त- 21 सितंबर, 6 अक्टूबर और सभी बुधवार। इन दिनों मांगलिक कार्य हेतु गार्डन, धर्मशाला की बुकिंग की जा सकती हैं। साथ ही नए व्यापारिक सौदे भी किए जा सकते हैं।

क्षिप्र संज्ञक मुहूर्त- 19 सितंबर, 4, 11 अक्टूबर एवं समस्त गुरुवार को वाहन खरीदने की बुकिंग की जा सकती है।

मित्र संज्ञक मुहूर्त- 19, 22 सितंबर, 2, 3, 8 अक्टूबर। नए रिश्ते जुड़ने के लिए ये दिन शुभ हैं। इन दिनों में नए कपड़े, आभूषण रत्न आदि भी खरीदे जा सकते हैं। विलासिता से जुड़े सामान खरीदे या बुक किए जा सकते हैं।

सर्वार्थसिद्धि योग- यह वह योग है जिसमें व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए कार्य किए जा सकते हैं। अधिक मास में यह योग 9 दिन यानी 26 सितंबर को एवं 1, 4, 6, 7, 9, 11, 17 अक्टूबर को रहेगा।

द्विपुष्कर योग- इस योग का महत्व बहुत ज्यादा है। इस योग में अगर कोई भी काम किया जाए तो फल दोगुना हो जाता है। यह योग 19 और 27 सितंबर को है।

अमृतसिद्धि योग- इसके बारे में मुहूर्त पारिजात में कहा गया है। इस योग में जो भी काम किया जाता है उसका फल दीर्घकालीन होता है। यह योग 2 अक्टूबर 2020 को रहेगा।  


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