Sawan Shivratri 2020: शिवरात्रि के दिन हुआ था शिव-पार्वती का विवाह, पढ़ें यह कथा
Sawan Shivratri 2020 आज हर कोई भोले की भक्ति में लीन है। आज सावन की शिवरात्रि है। लेकिन क्या आपको यह पता है कि शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है।
Sawan Shivratri 2020: आज हर कोई भोले की भक्ति में लीन है। आज सावन की शिवरात्रि है। लेकिन क्या आपको यह पता है कि शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है। अगर नहीं पता है तो हम आपको इसके पीछे का कारण बता रहे हैं। दरअसल, शिव और शक्ति के मिलन का पर्व ही शिवरात्रि कहलाता है। शिव और पार्वती के विवाह की भी कथा प्रचलित है। यहां पढ़ें यह कथा।
अग्नि देव के साथ स्वाहा नाम की कन्या का, पितृगण के साथ सुधा नाम की कन्या का और भगवान शिव के साथ नामक कन्या का अग्नि देव के साथ, सुधा नाम की कन्या का पितृगण के और सती का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ था। बाकी की 13 कन्याओं की विवाह चंद्रमा के साथ संपन्न हुआ था। एक बार प्रजापित दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। लेकिन उसमें शंकर जी को आमंत्रित नहीं किया।
उसी समय सती भी बिन बुलाए अपने पिता के घर पहुंच गईं। इस पर दक्ष ने शिव और सती दोनों का बहुत अपमान किया। इस अपमान के लिए सती ने यज्ञ वेदी में खुद की आहुति दे दी। जब इस बात का पता शिव को चला तो उन्होंने यज्ञ को तहस-नहस कर दिया। इसके बाद उन्होंने माता सती का शव लिया और कई दिनों को ब्रह्मांड के चक्कर लगाए। विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से सती के शव के टुकड़े कर दिए। सती के शव के टुकड़े ब्रह्मांड में कई जगह गिरे। जहां-जहां सती के शरीर के टुकड़े गिरे वहां मां के शक्तिशीठ स्थापित हुए। ये 51 शक्तिपीठ हैं।
इसके बाद मां सती का जन्म हिमनरेश के घर हुआ। इनकी मां का नाम मैनावती था। जब देवर्षि नारद को पार्वती के जन्म की खबर मिली तो वो हिमनरेश के घर पहुंच गए। यहां उन्होंने हिमनरेश को पार्वती के बारे में बताया। नारद ने कहा कि यह कन्या सुलक्षणों से सम्पन्न है। इसका विवाह भगवान शंकर के साथ संपन्न होगा। लेकिन देवों के देव महादेव से विवाह करने के लिए इसे घोर तपस्या करनी होगी।
मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तप किया। इसके बाद शिवरात्रि के दिन शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। शिवपुराण में बताया गया है कि शिव की बारात में भूत-पिशाच, शिवगण समेत देवता आए थे।