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Santoshi Maa Lok Katha: जब मां ने लौटाए थे अपने प्रिय भक्त के प्राण, पढ़ें यह कथा

Santoshi Maa Lok Katha भक्तों के लिए संतोषी माता अत्यंत प्रिय हैं। उनके भक्त उनके लिए शुक्रवार के व्रत सकते हैं। लेकिन माता संतोषी से स्वर्ग में एक देवी बहुत चिढ़ती थीं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 08:30 AM (IST)
Santoshi Maa Lok Katha: जब मां ने लौटाए थे अपने प्रिय भक्त के प्राण, पढ़ें यह कथा

Santoshi Maa Lok Katha: भक्तों के लिए संतोषी माता अत्यंत प्रिय हैं। उनके भक्त उनके लिए शुक्रवार के व्रत सकते हैं। लेकिन माता संतोषी से स्वर्ग में एक देवी बहुत चिढ़ती थीं। इस देवी का नाम पोलमी माता था। माता पोलमी तब ज्यादा चिढ़ने लगीं जब वो धरती पर संतोषी को माता की पूजा करते हुए देखा करती थी। इसी के चलते वो माता संतोषी से बदला लेने के बारे में विचार करने लगी। वह संतोषी के जीवन में कोई न कोई विघ्न जरूर खड़ा कर देती थी। वहीं, एक बार माता संतोषी को परेशान करने के लिए पोलामी ने उनकी भक्त संतोषी के प्राण लेने के बारे में सोचा। लेकिन ब्रह्मा जी ने जो जीवन पोथी बनाई थी उसनमें संतोषी की पूरी उम्र लिखी थी। यही कारण था कि यमराज संतोषी के प्राण नहीं ले सकते थे। यह देख पोलामी देवी ने एक षडयंत्र रचा। उन्होंने दीमक राज को डराया और जीवन पोथी से संतोषी के जीवन के कागज को खत्म करने को कहा।

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अपनी जीवन की रक्षा के लिए दीमक राज ने वही किया जैसा माता पोलामी ने कहा था। जब यमराज ने देखा की संतोषी का जीवन समाप्त हो गया है तो वो उसके प्राण लेने चले गए। जब यह बात संतोषी माता को पता चली तो वो अत्यंत क्रोधित हो गईं। इसी बीच वहां नारद मुनि भी आ गए। माता संतोषी ने उनसे कहा कि जरुर यह कोई षडयंत्र है। संतोषी की अकाल मृत्यु नहीं लिखी है। तब नारद मुनि ब्रह्म देव के पास गए और बात का पता लगाने की कोशिश की। इस बीच माता संतोषी खुद अपनी भक्त के लिए तपस्या करने में लग जाती हैं। इस तपस्या के चलते पूरे देव लोक में तूफान आ जाता है।

यह देख सभी देवी-देवता माता संतोषी के समक्ष आ जाते हैं। सभी माता से प्रार्थना करने लगते हैं कि वो इस तपस्या को खत्म कर दें। फिर ब्रह्म देव वहां आते हैं। उन्हें सभी बातों का पता लगता है। यह सब देख वो यमराज को बुलाते हैं। वो यमराज को कहते हैं कि संतोषी का जीवन अभी बाकी है तो उसके प्राण क्यों लिए गए। यमराज ने कहा कि उन्होंने जीवन पोथी के अनुसार ही काम किया है। जब दीमक राज से पूछा गया कि तब उन्होंने देवी पोलमी के कपट के बारे में बताया। यह सुन संतोषी के प्राणों को वापस दिया गया। संतोषी मृत्यु शय्या से अग्नि के पहले ही खड़ी हो जाती है। यह देख माता संतोषी की जय-जयकार होने लगती है। 


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