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संक्रांति पर स्नान और दान करने का विधान है

शुक्रवार को मकर संक्रांति का पर्व आस्था के साथ मनाया गया। इस अवसर पर पुण्य काल में श्रद्घालुओं ने पापों व कष्टों के निवारण के लिए पवित्र जलाशयों में आस्था काल में डुबकी लगाई। पर्व पर संक्रांति का पुण्य काल सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रहा। सुबह जैसे ही पुण्य

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 16 Jan 2016 12:27 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2016 12:46 PM (IST)
संक्रांति पर स्नान और दान करने का विधान है

बिलासपुर। शुक्रवार को मकर संक्रांति का पर्व आस्था के साथ मनाया गया। इस अवसर पर पुण्य काल में श्रद्घालुओं ने पापों व कष्टों के निवारण के लिए पवित्र जलाशयों में आस्था काल में डुबकी लगाई। पर्व पर संक्रांति का पुण्य काल सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रहा। सुबह जैसे ही पुण्य काल प्रारंभ हुआ पवित्र जलाशयों में भी श्रद्घालु डुबकी लगाते रहे और मंगल कामना करते रहे। पुण्य काल के प्रारंभ होती ही पूरा माहौल भक्तिमय बन गया। इसके साथ ही मंदिरों में भगवान के दर्शन कर लोगों ने अपने दिन की शुरुआत की।

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भगवान के दर्शन के साथ ही अक्षय फल की कामना से श्रद्घालुओं ने दान-पुण्य किया। स्कंध पुराण और मत्स्य पुराण में भी संक्रांति पर स्नान और दान करने का विधान है। शुरू हुआ मांगलिक कार्य संक्रांति के पावन पर्व के साथ ही मांगलिक कार्य भी शुरू हुए और एक महीने के लंबे समय के बाद अब शाहनाईयों की गूंज भी सुनाई देंगी। इसके साथ ही गृह प्रवेश, नए कार्यों की शुरुआत जैसे अन्य शुभ कार्य के लिए लोगों की लंबी प्रतीक्षा भी समाप्त हुई। ़किया दान-पुण्य संक्रांति में खिचड़ी, वस्त्र व तिल की दान का विशेष महत्व होता है। श्रद्घालुओं ने भक्तिभाव से अक्षय फल की कामना के साथ ही खिचड़ी, घी, तिल के लड्डू दान करते रहे। इस अवसर पर मंदिरों में सुबह से भक्ति का माहौल बना रहा। बड़ी संख्या में श्रद्घालुओं ने पुण्य लाभ की कामना के साथ स्नान करते हुए मंगल कामना करते रहे। तिल के लड्डुों की घुली मिठास इस अवसर पर तिल के लड्डुओं की मिठास घुलती रही। लोगों ने एक-दूसरे को गुड़ से बने तिल लड्डू खिलाकर बधाई देते रहे। इसके साथ ही विभिन्न पारंपरिक पकवानों के साथ तिल के लड्डू के पैकेट भी उपहार में देकर शुभकानाएं देते रहे। सोशल मीडिया बना माध्यम आस-पास रहने वालों को लोगों ने उनके घर जाकर बधाई दी लेकिन दूर रहने वालों को बधाई देने के लिए सोशल मीडिया सबसे सशक्त माध्यम बना। लोग अपने दूर रहने वाले प्रियजनों को ई-कार्ड, बधाई संदेश और वीडियो के माध्यम से शुभ आशीष देते रहे।


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