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Guru Tegh Bahadur Shaheedi Divas: गुरु तेग बहादुर ने धर्म रक्षा के लिए दिया था सर्वोच्च बलिदान, जानें उनके बारे में

Guru Tegh Bahadur Shaheedi Divas सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह जी का शहीदी दिवस आज 24 नवंबर 2020 दिन मंगलवार को है। गुरु तेग बहादुर जी ने अपने धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान कर दिया था। वे प्रेम त्याग और बलिदान के सच्चे प्रतीक हैं।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 09:43 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 10:12 AM (IST)
Guru Tegh Bahadur Shaheedi Divas: गुरु तेग बहादुर ने धर्म रक्षा के लिए दिया था सर्वोच्च बलिदान, जानें उनके बारे में
गुरु तेग बहादुर ने धर्म रक्षा के लिए दिया था सर्वोच्च बलिदान, जानें उनके बारे में

Guru Tegh Bahadur Shaheedi Divas: सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह जी का शहीदी दिवस आज 24 नवंबर 2020 दिन मंगलवार को है। गुरु तेग बहादुर जी ने अपने धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान कर दिया था। वे प्रेम, त्याग और बलिदान के सच्चे प्रतीक हैं। मानवीय मूल्यों, धर्म, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा में उनका स्थान अद्वितीय है। वे अपने कर्तव्यों एवं शिक्षा के लिए सदैव याद किए जाते रहेगें। आज शहीदी दिवस के अवसर पर जागरण अध्यात्म आपको गुरु तेग बहादुर सिंह जी के जीवन के बारे में बता रहा है।

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1. गुरु तेगबहादुर सिंह जी का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनके बचपन का नाम त्यागमल था।

2. गुरु तेगबहादुर के पिता गुरु हरगोबिंद सिंह ​थे। वह बाल्यकाल से ही धार्मिक, निर्भीक, विचारवान और दयालु प्रवृत्ति के थे।

3. इस्लाम धर्म अपनाने से इनकार करने पर मुगल बादशाह औरंगजेब ने उनकी हत्या का फरमान जारी किया था।

4. सन् 1675 में धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर ने अपना बलिदान दे दिया।

5. दिल्ली का गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब उनके सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक स्थल है।

6. गुरु तेगबहादुर सिंह जी ने कश्मीरी हिन्दुओं तथा गैर मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की बलिदान दिया था। मुगल बादशाह औरंगजेब जबरन उन सभी लोगों को इस्लाम धर्म अपनाने पर तुला था।

7. नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, हर वर्ष 24 नंवबर को गुरु तेगबहादुर जी के शहीदी दिवस के रुप में याद किया जाता है।      

8. तेग बहादुर का अर्थ तलवार की ताकत होता है। गुरु हरगोबिंद जी ने बालक त्यागमल का नाम तेग बहादुर रखा था। मुगलों के खिलाफ लड़ाई में त्यागमल की वीरता से प्रभावित होकर उनको यह नाम मिला।

9. अगस्त 1664 में तेग बहादुर जी को सिखों का 9वां गुरु बनाया गया था। उनका पालन पोषण सिख संस्कृति में हुआ था। उनको तीरंदाजी और घुड़सवारी में महारत हासिल थी। सिख ग्रंथों के अलावा उनको वेद, पुराण और उपनिषदों का भी ज्ञान था।


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