दिति ने ऋषि कश्यप को कामातुर होने पर विवश कर दिया
कुछ समय बाद हिरण्याक्ष और हिरण्याकश्यिपु ने जन्म लिया। हिरण्ययाक्ष का वध भगवान विष्णु ने वराह अवतार रख किया। वहीं,हिरण्यकश्यिपु का वध नृसिंह अवतार में किया।
बात बहुत पुरानी है एक समय कश्यप ऋषि भगवान को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ कर रहे थे। वह यज्ञ करते समय खीर की आहुतियां दे रहे थे।
शाम का समय था। तभी वहां प्रजापति दक्ष की पुत्री दिति कामातुर होकर वहां पहुंची। और ऋषि से याचना की। ऋषि ने कहा, शाम के समय यह संभव नहीं, इस समय भगवान शिव विचरण करते हैं।
वेदों में शाम का समय पूजा-पाठ का समय बताया गया है। लेकिन दिति ने ऋषि कश्यप को कामातुर होने पर विवश कर दिया। दिति की कामेच्छा जब पूरी हुई तो ऋषि ने कहा, तुमने मेरी बात को न मानते हुए असमय भोग किया उसके कारण तुम्हारे गर्भ में दो अमंगलकारी पुत्र पैदा होंगे। जो पूर्ण रूप से अधार्मिक होंगे। जिनका वध स्वयं नारायण करेंगे। इस तरह कुछ समय बाद दिति ने गर्भधारण किया।
कुछ समय बाद हिरण्याक्ष और हिरण्याकश्यिपु ने जन्म लिया। हिरण्ययाक्ष का वध भगवान विष्णु ने वराह अवतार रख किया। वहीं,हिरण्यकश्यिपु का वध नृसिंह अवतार में किया।