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अन्याय प्रतिकार यात्रा में उमड़ी हजारों की भीड़

22 सितंबर को गोदौलिया चौराहे पर गणपति प्रतिमा के गंगा में विसर्जन को लेकर संतों और बटुकों पर हुए लाठीचार्ज का प्रतिकार ऐसा होगा यह आंदोलन करने वालों को भी अंदाजा नहीं होगा। कुछ हजार की भीड़ का अंदाजा लगाए अगुवाई कर रहे संतों को हजारों लोगों का साथ मिला।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2015 03:43 PM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2015 03:52 PM (IST)

वाराणसी। 22 सितंबर को गोदौलिया चौराहे पर गणपति प्रतिमा के गंगा में विसर्जन को लेकर संतों और बटुकों पर हुए लाठीचार्ज का प्रतिकार ऐसा होगा यह आंदोलन करने वालों को भी अंदाजा नहीं होगा। कुछ हजार की भीड़ का अंदाजा लगाए अगुवाई कर रहे संतों को हजारों लोगों का साथ मिला। यात्रा शुरू होने से पूर्व करीब साढ़े तीन बजते-बजते टाउन हाल मैदान भरने को था। दूसरी ओर मैदागिन से लेकर गोदौलिया तक हजारों की भीड़ ठसाठस सड़क पर मौजूद थी यात्रा की आगवानी के लिए।

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दोपहर बारह बजे से पहुंचने लगे थे लोग

टाउन हाल मैदान में लोगों के पहुंचने का क्रम दोपहर बारह बजे से ही शुरू हो गया था। उससे भी अधिक लोग मैदागिन और कोतवाली क्षेत्र में चाय-पान की दुकानों और चौराहों पर जमे थे। ढाई बजे जब संतों की टोली पहुंची तो भीड़ सैकड़ों में ही थी। मंच से भाषण शुरू हुआ तो टोली-टोली भीड़ मैदान में घुसने लगी। इसमें दंडी स्वामियों, संतों, आम काशीवासियों से लगायत विभिन्न दलों के लोग भी थे।

तीन बजे टाउनहाल पहुंचे भाजपाई - तीन बजते-बजते भाजपा के लोग भी वहां पहुंच गए जिन्होंने तटस्थ रहने की बात कही थी। इससे पूर्व कांग्रेस के नेता अपने साथ अलग-अलग सैकड़ों की भीड़ लेकर मैदान में स्थान लेते जा रहे थे। मैदान में सामने की ओर और दोनों द्वार पर काफी संख्या में फोर्स तैनात थी।

साढ़े तीन बजे पहुंचा डमरू लिए जत्था

करीब साढ़े तीन बजे डमरू लिए युवकों का दल टाउनहाल तक पहुंचा। उधर मंच पर संतों का भाषण भीड़ में जोश भरे हुए था। पौने तीन बजते ही मैदान से संतों सहित आम काशीवासियों ने अन्याय प्रतिकार यात्रा शुरू कर दी। आगे-आगे पालकी में बाबा विश्वनाथ को लिए संत चल रहे थे। वैसे इस यात्रा में भीड़ के आगे और पीछे होने की बात बेमानी थी। वजह यह कि जितने लोग मैदान से निकले थे करीब उतनी ही भीड़ मैदागिन से गोदौलिया तक पटी पड़ी थी।

तालियों, नारों से गूंज रहा था पूरा इलाका

यात्रा निकली तो तालियों, डमरू की ध्वनि और नारों की गूंज से पूरा इलाका गुंजायमान हो उठा। जिन्हें यात्रा में नहीं बढ़ना था वह सड़क किनारे खड़े होकर उत्साहवर्धन कर रहे थे। जहां प्रतिमा रोकी थी वहीं बैठे धरने पर केसरिया ध्वजों व चुनरी के झंडों को लिए हजारों लोग गोदौलिया की ओर बढ़े जा रहे थे। चौराहे के ठीक पहले यात्र के पहुंचने पर 21 सितंबर को जहां गणपति प्रतिमा रोक कर धरना दिया गया था, वहां पहुंचने पर आगे चल रहे लोग धरने पर बैठ गए।

गलियां भी ठसाठस जाम जैसे रहे हालात

लोग गलियों के रास्ते से भी निकल रहे थे जिससे गलियों में भी जाम जैसे हालात थे।

पौ फटने से पहले ही रविवार को शंकराचार्य आश्रम श्रीविद्या मठ आंदोलन का केंद्र बिन्दु बन गया, जहां ‘अन्याय प्रतिकार यात्र’ की सफलता सुनिश्चित करने के बाबत रणनीति बनने लगी थी। ‘धर्म की जय हो-अधर्म का नाश हो’..‘हर-हर महादेव शंभो-काशी विश्वनाथ गंगे’..हर-हर गंगे जय-जय गंगे’ व ‘हर-हर महादेव’ के नारे संतों व आस्थावानों को आंदोलित कर रहे थे। गिरफ्तारी व नजरबंद से संशकित अधिकांश संतों की रविवार की रात जागते हुए बीती।

प्रतिबद्ध दिखे संत

प्रशासन के मान-मनौव्वल के बावजूद ‘अन्याय प्रतिकार यात्रा’ निकालने पर प्रतिबद्ध रहे संत। रविवार को यात्रा में भाग लेने दिल्ली से पहुंची साध्वी प्राची, ऋषिकेश के महामंडलेश्वर रामस्वरूप, स्वामी प्रबोधानंद सरस्वती, हरियाणा के स्वामी कल्याण देव, अखिल भारतीय संत समाज के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि, पटना के महंत नवीन दास सहित अन्य संतों ने अपने विचारों से बटुकों व आस्थावानों में अन्याय का प्रतिकार करने के लिए जोश भरा। मठ की ओर से लगभग दो हजार संतों के काशी पहुंचने का दावा किया गया।

अचानक बदली रणनीति

पहले संतों को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की अगुवाई में ‘अन्याय प्रतिकार यात्रा’ के रवानगी स्थल टाउनहाल श्रीविद्या मठ से जुलूस की शक्ल में जाना था, किंतु रविवार की रात अचानक रणनीति बदल दी गई। प्रशासन की ओर से संतों की गिरफ्तारी व उन्हें नजरबंद करने की चर्चा के बाद रणनीति में बदलाव किया गया।

संत गंतव्य को रवाना

सभी संतों को श्रीविद्या मठ से शहर के अन्य आश्रमों, मठों-मंदिरों, होटलों व धर्मशालाओं में भेजने का निर्णय लिया गया। वे रात में ही वहां रवाना हो गए। यह तय किया गया कि संत व आस्थावान अपने ठहरने के स्थान के करीब के चौराहे पर दोपहर एक बजे तक पहुंचेंगे। तदन्तर लोगों को जोड़ते हुए जुलूस की शक्ल में टाउनहाल पहुंचेंगे। सोमवार को तय रणनीति के तहत ही स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अपने कुछ चुनिंदा शिष्यों व बटुकों संग मध्याह्न श्रीविद्या मठ से टाउनहाल रवाना हुए जबकि अन्य संत व आस्थावान भी दोपहर अलग-अलग स्थानों से टाउनहाल पहुंचे। जहां से सभा के बाद अपराह्न अन्याय प्रतिकार यात्रा दशाश्वमेध घाट के लिए रवाना हुई।


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