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मान्यता है कि इन पांच दिनों में नहीं होंगे शुभ कार्य

ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना जाने वाला पंचक मंगलवार 9 फरवरी को सुबह 4.11 बजे शुरू हुआ। पंचक का प्रभाव 13 फरवरी शनिवार को सुबह 7.12 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि इन पांच दिनों में शुभ कार्य नहीं होंगे। कुछ कार्य जो करना अति जरूरी हो, उन्हें करने से

By Preeti jhaEdited By: Updated: Wed, 10 Feb 2016 03:27 PM (IST)
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ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना जाने वाला पंचक मंगलवार 9 फरवरी को सुबह 4.11 बजे शुरू हुआ। पंचक का प्रभाव 13 फरवरी शनिवार को सुबह 7.12 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि इन पांच दिनों में शुभ कार्य नहीं होंगे। कुछ कार्य जो करना अति जरूरी हो, उन्हें करने से पहले कुछ खास उपाय करने पड़ेंगे। पंचक के दौरान पांच नक्षत्र धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र पड़ते हैं और जब कभी भी उक्त पांच नक्षत्रों का समय होता है तब तक उसे पंचक काल माना जाता है।

पंचक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, लेकिन सगाई, शादी आदि जरूरी कार्य भगवान गणेश व अन्य देवी-देवताओं की पूजा के बाद किए जा सकते हैं। इस दौरान किसी की मौत हो जाए तो उसके अंतिम संस्कार से पूर्व आटे के पांच पुतले बनाकर पुतलों का अंतिम संस्कार करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से आने वाली बला को टाला जा सकता है।

पंचक के नाम व प्रभाव

पंचक यदि रविवार के दिन से शुरू होता है तो इसे रोग पंचक कहा जाता है और पांच दिनों तक शारीरिक व मानसिक परेशानी हो सकती है। सोमवार से शुरू होने वाले पंचक को राज पंचक कहा गया है, इस पंचक में जमीन-जायदाद से संबधित कार्य किए जा सकते हैं। पंचक यदि मंगलवार को शुरू होता है तो उसे अग्नि पंचक कहा जाता है। इसमें आग से नुकसान की आशंका रहती है। इस काल में भवन निर्माण कार्य अथवा मशीनरी कार्य नहीं करना चाहिए। पंचक यदि शनिवार को शुरू होता है तो इसे मृत्यु पंचक कहा जाता है। इस दौरान वाद-विवाद या दुर्घटना की आशंका रहती है।

पंचक शुक्रवार को शुरू होता है तो उसे चोर पंचक कहा जाता है। इस दौरान यात्रा को टालना चाहिए, व्यापारियों को लेनदेन करने से बचना चाहिए, नया व्यापार शुरू नहीं करना चाहिए। बुधवार व गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक में कुछ शुभ कार्य किए जा सकते हैं, लेकिन पंचक के दौरान जिन पांच कार्यों को करने की मनाही है उन्हें किसी भी हालत में नहीं करना चाहिए।

पांच कार्य जिन्हें पंचक के दौरान नहीं करना चाहिए

1 - घर के लिए पलंग, खटिया, सोफा आदि नहीं बनवाना चाहिए।

2 - पंचक में धनिष्ठा नक्षत्र हो तो जलने वाली वस्तुओं को जमा नहीं करना चाहिए। इससे अग्निकांड का अंदेशा होता है।

3 - दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करना चाहिए।

4 - पंचक में जब रेवती नक्षत्र हो तो निर्माणाधीन भवन की छत की ढलाई नहीं करनी चाहिए।

5 -गरूड़ पुराण में लिखा है कि पंचक में किसी की मौत हो तो अंतिम संस्कार विद्वान पंडित से पूछकर विधिवत करना चाहिए। शव के साथ आटा, कुश के पुतले बनाकर अर्थी के साथ रखकर अंतिम संस्कार करने से पंचक का दोष नहीं लगता।