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अयोध्या में राम विवाहोत्सव की धूम

कनकभवन, दशरथमहल बड़ा स्थान, लक्ष्मणकिला, रंगमहल, जानकीमहल, विअहुतिभवन आदि प्रमुख मंदिरों में रामलीला मंचन के साथ सीताराम विवाहोत्सव की शुरुआत हुई। चार दिवसीय लीला की प्रथम संध्या दशरथ के दरबार में विश्वामित्र के आगमन, ताड़का, मारीच-सुबाहु वध आदि प्रसंगों के मंचन से सजी। साथ ही विवाह की रस्म भी निष्पादित

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 25 Nov 2014 04:06 PM (IST)Updated: Tue, 25 Nov 2014 04:12 PM (IST)
अयोध्या में राम विवाहोत्सव की धूम

अयोध्या। कनकभवन, दशरथमहल बड़ा स्थान, लक्ष्मणकिला, रंगमहल, जानकीमहल, विअहुतिभवन आदि प्रमुख मंदिरों में रामलीला मंचन के साथ सीताराम विवाहोत्सव की शुरुआत हुई।

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चार दिवसीय लीला की प्रथम संध्या दशरथ के दरबार में विश्वामित्र के आगमन, ताड़का, मारीच-सुबाहु वध आदि प्रसंगों के मंचन से सजी। साथ ही विवाह की रस्म भी निष्पादित हुई। रंगमहल में पुरातात्विक महत्व के हो चले करीब दो सौ वर्ष पुराने ङ्क्षकतु कलात्मक लकड़ी के मंडप में विवाह की प्रक्रिया शुरू हुई। जानकी महल में सायं गणेश पूजन किया गया। तो अगले दिन ही फुलवारी प्रसंग के साथ जानकीमहल का विवाहोत्सव चरम पर होगा। राम विवाहोत्सव के क्रम में गत कई वर्षों से जानकीमहल में फुलवारी की लीला प्रतिष्ठापरक होती है। न केवल इस प्रस्तुति की कलात्मकता एवं जीवंतता यादगार होती है बल्कि महंत नृत्यगोपालदास, कौशलकिशोरशरण फलाहारी जैसे दिग्गज संत इस लीला के रसास्वादन के लिए जुटते हैं।

रामकथा के अनुसार फुलवारी प्रसंग तब का है, जब धनुष यज्ञ के दौरान जनकपुर गए भगवान राम उद्यान में भ्रमण के लिए जाते हैं और वहीं मां जानकी से उनका पहली बार सामना होता है। इस मार्मिक प्रसंग की प्रस्तुति को जीवंत बनाने के लिए जानकीमहल ट्रस्ट का प्रबंधन पूरी रचनात्मकता अर्पित करता है। इस बावत प्रबंधन से जुड़े नरेश पोद्दार, नारायण गनेड़ीवाल, नंदलाल गनेड़ीवाल, आदित्य सुलतानिया, रामकुमार शर्मा, सजन सर्राफ आदि मनोयोग से सक्रिय हैं।

26 तारीख को धनुष यज्ञ की प्रस्तुति से बढ़ता हुआ लीला का क्रम 27 तारीख को ऐन विवाह के अवसर के रूप में प्रस्तुत होगा। इस दिन न केवल जानकीमहल से बल्कि दशरथमहल, रंगमहल आदि अन्य अनेक मंदिरों से भी हाथी, घोड़ा, बैंड, पालकी, आतिशबाजी से सज्जित बरात निकलेगी। रामानंदीय संतों की आचार्य पीठ दशरथमहल में विवाह प्रसंग से जुड़ी लीला की प्रस्तुतियों के साथ गुजरात की बाल विदुषी रतन बेन रामकथा का विवेचन कर रही हैं, उनका प्रवचन 28 नवंबर तक प्रतिदिन अपराह्न तीन से सायं सात बजे तक प्रस्तावित है। पीठ के आचार्य ङ्क्षवदुगाद्याचार्य महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य ने बताया कि 27 तारीख को सायं चार बजे भव्य शोभायात्रा के साथ राम बरात निकलेगी। बरात की वापसी पर विवाह की रस्म निभेगी।

पीठ की परंपरा-

भगवान राम के साथ भगवती सीता की समान निष्ठा के साथ उपासना की रही है और विवाहोत्सव के अवसर पर यहां युगलोपासना का यह सरोकार चरम पर होगा।

दो सौ वर्ष पूर्व रामकोट स्थित प्रतिष्ठित पीठ रंगमहल में प्रवर्तित विवहोत्सव की परंपरा आज भी पूरी भव्यता, संजीदगी और परिपूर्णता के साथ प्रवाहमान है। भगवान की रसिक भाव से उपासना करने वाले रंगमहल के संस्थापक आचार्य सरयूशरण और उनकी परंपरा के शिष्यों-शागिर्दों ने आराध्य के प्रति भाव अर्पित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और इसके लिए उन्होंने आराध्य के परिणय को सर्वाधिक अहम् माना। मंदिर में ही एक सिरा वर और दूसरा सिरा कन्या पक्ष का घोषित कर सीता-राम विवाह को जीवंत करने की हर संभव कोशिश हुई।

सोमवार को मंडप प्रवेश एवं तिलकोत्सव के साथ शुरू विवाहोत्सव तेल पूजन, मंत्री पूजन, बरात, द्वारचार, भांवर, विदाई आदि की रस्म निष्पादित करने की पूरी तैयारी है।

रंगमहल के वर्तमान आचार्य महंत

रामशरणदास ने बताया कि रंगमहल मां

कौशल्या ने विदेहनंदिनी भगवती सीता को मुंह दिखाई में दी थी। ऐसे में इस स्थल पर रामवविवाह को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती। आश्रम में संचालित रामलीला मुनि आगमन, ताड़का, मारीच-सुबाहु बध, नगर दर्शन, धनुषयज्ञ,

परशुराम-लक्ष्मण संवाद से होती हुई

रामविवाह के प्रसंग को जीवंत करेगी। इस

दौरान संगीत, सत्संग की भी सरिता प्रवाहित

हो रही है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शिरकत कर रहें हैं।

बुधवार को अपराह्न प्रदेश के काबीना मंत्री अंबिका चौधरी रामकथा पार्क में चार दिवसीय रामायण मेला का उद्घाटन करेंगे।

प्रत्येक वर्ष राम विवाह की तिथि से एक

दिन पूर्व एवं दो दिन बाद तक संचालित

रामायण मेला रामनगरी के सांस्कृतिक

फलक का प्रतिनिधि आयोजन माना जाता

है। सन् 1982 में स्थानीय रामायण मेला का प्रवर्तन तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र ने किया था। अपनी परंपरा के अनुरूप 33वां रामायण मेला भी रामलीला के मंचन, कथा-प्रवचन एवं सतरंगी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का वाहक बनेगा। मेला की पहली भजन संध्या गोरखपुर के राकेश उपाध्याय, मुंबई के सुरेश शुक्ल एवं स्थानीय कलाकार मुकेश कुमार तथा

सुरभि पाल की प्रस्तुतियों से सजेगी। दूसरी शाम इलाहाबाद के मनोज गुप्त, एवं बीना ङ्क्षसह सहित भोजपुरी के आकाश में चमक रहे स्थानीय गायक दिवाकर द्विवेदी के नाम होगी। तीसरी शाम लखनऊ की लोक नर्तकी निधि श्रीवास्तव, सुलतानपुर की लोक गायिका स्वाती ङ्क्षसह, मुजफ्फरपुर की भजन गायिका विशल्या, स्थानीय उप

शास्त्रीय गायक सत्यप्रकाश मिश्र, आखिरी शाम को बस्ती की रंजना अग्रहरि, भोजपुरी गायक गोपाल राय एवं स्थानीय कलाकार शीतला वर्मा और उनके साथी लोक नृत्य प्रस्तुत करेंगे। अंतिम शाम ही बनारस के आलोक पांडेय एवं उनके साथी रामकथा पर केंद्रित नृत्य नाटिका प्रस्तुत करेंगे। रामलीला का मंचन महंत

जयरामदास के निर्देशन वाली अयोध्या

की ही प्रतिष्ठित रामलीला मंडली के जिम्मे है। 29 नवंबर को अपराह्न रामायण मेला का समापन विधानसभाध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय करेंगे।


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