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Bhadra: कौन है भद्रा? जिसके साये में रक्षाबंधन ही नहीं बल्कि कोई भी अन्य शुभ कार्य करने की है मनाही

Bhadra रक्षाबंधन पर्व पर पूरे दिन भद्रा का साया पड़ रहा है। बता दें कि भद्रा शनिदेव की बहन है जो क्रोधी स्वभाव की मानी जाती हैं। इसकारण ब्रह्मा जी ने उन्हें एक विशिष्ट स्थान दिया। जानिए भद्रा काल के बारे में अन्य बातें

By Shivani SinghEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2022 03:31 PM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2022 03:31 PM (IST)
Bhadra: कौन है भद्रा? जिसके साये में रक्षाबंधन ही नहीं बल्कि कोई भी अन्य शुभ कार्य करने की है मनाही

नई दिल्ली, Bhadra: भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व इस साल भद्रा की साया में बीत रहा है। 11 अगस्त को पूरे दिन भद्रा रहने के बाद रात के समय समाप्त होगी। ऐसे में रक्षाबंधन की तिथि को लेकर लोगों के बीच काफी असंजस है कि किस दिन बहनें भाई की कलाई में राखी बांधें। भद्रा काल को अशुभ समय माना जाता है। जानिए आखिर भद्रा काल के समय कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही क्यों होती है।

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कौन है भद्रा?

पुराणों के मुताबिक, भद्रा सूर्यदेव की पुत्री है यानी कि शनि की बहन है। कहा जाता है कि शनि की तरह ही भद्रा का स्वभाव भी क्रोधी है। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया है।

क्या होता है भद्रा काल?

हिन्दू पंचांग के 5 प्रमुख अंग होते हैं। इन पांचों अंगों के नाम है- तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इनमें करण को महत्वपूर्ण अंग माना गया है। यह तिथि का आधा भाग होता है। करण की संख्या 11 होती है। ये चर और अचर में बांटे गए हैं। चर या गतिशील करण में बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज और विष्टि गिने जाते हैं। अचर या अचलित करण में शकुनि, चतुष्पद, नाग और किंस्तुघ्न होते हैं। इन 11 करणों में 7 वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। यह सदैव गतिशील होती है। पंचांग शुद्धि में भद्रा का खास महत्व होता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अलग-अलग राशियों के माध्यम से भद्रा तीनों लोकों में घूमती रहती है। जब यह मृत्युलोक में होती है, तब सभी शुभ कार्यों में बाधक या उनका नाश करने वाली मानी गई है। ऐसे में शुभ कार्य किए जाते हैं। जब चन्द्रमा कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में विचरण करता है और भद्रा विष्टि करण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है। इस अवस्था में सभी कार्य शुभ कार्य वर्जित होते हैं।

Pic Credit- Freepik

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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