राजजात यात्रा: गैरोली में जगह नहीं वेदनी गए श्रद्धालु
उच्च हिमालयी क्षेत्र के पहले ही पड़ाव पर सरकारी व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। खराब मौसम के बीच आठ हजार से अधिक यात्री गैरोली पातल पहुंच चुके हैं, लेकिन उनके ठहराने के कोई इंतजाम नहीं हैं। ले-देकर जो 26 टेंट लगाए गए हैं, वो डोली-छंतोली लाने वालों के लिए भी पर्याप्त नहीं। जबकि, पड़ाव में लगातार बारिश हो रही है। ऐसे में
गैरोलीपातल। उच्च हिमालयी क्षेत्र के पहले ही पड़ाव पर सरकारी व्यवस्थाओं की पोल खुल गई। खराब मौसम के बीच आठ हजार से अधिक यात्री गैरोली पातल पहुंच चुके हैं, लेकिन उनके ठहराने के कोई इंतजाम नहीं हैं। ले-देकर जो 26 टेंट लगाए गए हैं, वो डोली-छंतोली लाने वालों के लिए भी पर्याप्त नहीं। जबकि, पड़ाव में लगातार बारिश हो रही है। ऐसे में अधिकांश यात्रियों ने वेदिनी की तरफ रुख कर लिया है।
मौसम बिगड़ने के कारण नंदा पथ के पहले निर्जन पड़ाव गैरोली पातल में ही चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हो गया। पड़ाव में सरकार ने सिर्फ 26 टेंट लगाए हैं। इसके अलावा वन विभाग दो टिन शेड हैं, जिनमें बहुत यात्रियों के रुकने की गुंजाइश नहीं। यही नहीं, पीने के पानी की भी कोई व्यवस्था पड़ाव में नहीं है। जिन लोगों के पास अपने टेंट हैं, वही यहां ठहरने की स्थिति में हैं। बाकी वेदिनी बुग्याल की ओर बढ़ गए। हालांकि, लगता नहीं कि वहां भी इतने यात्रियों की व्यवस्था हो पाएगी। ऐसे में अधिकतर यात्रियों को खुले में रात गुजारने को मजबूर होना पड़ेगा।
बता दें कि हाल ही तक सरकार निर्जन पड़ावों की व्यवस्था अपने हाथ में लेने की बात कर रही थी। दावे किए जा रहे थे कि इन पड़ावों में यात्री सुविधाओं के मद्देनजर जरूरी सारी व्यवस्थाएं जुटा दी गई हैं। साथ ही आबादी वाले अंतिम पड़ाव वाण से आगे सीमित संख्या में ही यात्रियों को ले जाने की बात भी की जा रही थी। इसके लिए चेपड़्यूं से ही स्वास्थ्य परीक्षण के साथ बॉयोमैटिक्स पंजीकरण भी शुरू कर दिया गया। लेकिन, यहां तो दो दिन पहले ही हजार के आसपास यात्री वेदिनी पहुंच गए। डोली-छंतौलियों के साथ भी लगभग आठ हजार यात्री चल रहे हैं। जबकि, व्यवस्थाओं की हकीकत गैरोली पातल में ही सामने आ गई। ऐसे में आगे क्या होगा, इसका अंदाजा लगाना कठिन नहीं।