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कुंडली में शुक्र की स्थिति तय कराती है जीवन का वैभव, जानें कब किसे क्या मिल सकता है

यदि शुक्र देव कुंडली में लग्न भाव पर है तो व्यक्ति कीर्तमान और तेजस्वी बनता है। शरीर स्वस्थ्य व निरोगी होता है। ऐसे व्यक्ति को नए कपड़े पहनने का शौकिन होता है और गायक कला आदि का शौकिन होता है। उसके पास पर्याप्त मात्रा में आभूषण होते हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 10:30 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 10:30 AM (IST)
कुंडली में शुक्र की स्थिति तय कराती है जीवन का वैभव, जानें कब किसे क्या मिल सकता है
कुंडली में शुक्र की स्थिति तय कराती है जीवन का वैभव, जानें कब किसे क्या मिल सकता है

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में शुक्र शुक्र की स्थिति से जातक की धन ऐश्वर्य और जीवन के सुखों का पता चलता है। इसे कुंडली के महत्वपूर्ण ग्रहों में जाना जाता है। इसलिय ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा बता रही है कि आपकी कुंडली में शुक्र की स्थिति से आप अपने बारे में कैसे जान सकते है।

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यदि शुक्र देव कुंडली में लग्न भाव पर है तो व्यक्ति कीर्तमान और तेजस्वी बनता है। शरीर स्वस्थ्य व निरोगी होता है। ऐसे व्यक्ति को नए कपड़े पहनने का शौकिन होता है और गायक, कला आदि का शौकिन होता है। उसके पास पर्याप्त मात्रा में आभूषण होते हैं। वह हर क्षेत्र में मान-सम्मान प्राप्त करता है और मृदु स्वभाव का होता है। वह अपना जीवन सुखमय व्यतीत करता है और मित्रों के साथ नई-नई योजनाओं पर काम करता है।

कुंडली में शुक्रदेव यदि धन भाव पर है तो व्यक्ति काफी अधिक धन प्राप्त करता है और जीवनसाथी से प्रेम और सम्मान प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति को भव्य व सुंदर चीजों के प्रति जुड़ाव रहता है। वह मृदुभाषी के साथ-साथ बुद्धिमान होता है और कुल देवी को मान्यता देता है। दान-पुण्य के कार्य में गहरी रुचि रहती है और चारों तरफ उसका यश फैलता है। ऐसे व्यक्ति को हमेशा उत्तम और स्वादिष्ट भोजन मिलता है और संपन्न लोगों से रिश्ता जोड़ता है। वाहनों का काफी शौकिन होता है और अपने परिवार की हर जरूरत को पूरा करता है।

कुंडली में शुक्र अगर पराक्रम भाव पर है तो व्यक्ति का कारोबार विदेशों तक फैला रहता है और यात्रा करने का शौकिन होता है। आध्यात्मिक कार्यों में हमेशा मन लगता है और वह सोशल मीडिया के माध्यम से काफी धन अर्जित करता है। ऐसा व्यक्ति चित्रकार, गायक और विद्वान होता है। पढ़ने में काफी रुचि रहती है और भाग्यवान व संपन्न होता है। मित्रों के साथ हमेशा प्रसन्न रहता है और धन की कमी न होने के कारण अच्छा खासा खर्च भी करता है। हालांकि वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

कुंडली में शुक्र अगर सुख भाव में स्थित हैं तो व्यक्ति भाई-बहन की मदद से पारिवारिक बिजनस को विदेशों में फैलाता है। बुद्धि और विद्या दोनों से धनी होता है और हमेशा आनंद में रहता है। स्वभाव से ऐसा व्यक्ति काफी परोपकारी होता है और माता-पिता की सेवा करता है। धार्मिक कार्यों में भी काफी रुचि रहती है और जीवनसाथी के साथ अच्छा समय व्यतीत करता है। अपने से ज्यादा हमेशा दूसरों के हितों को ऐसा व्यक्ति हमेशा पहले रखता है।

कुंडली में शुक्र अगर पंचम भाव में स्थित हैं तो व्यक्ति ईश्वर पर काफी विश्वास करता है और उदार स्वभाव का होता है। दान-पुण्य के कार्य में हमेशा आगे रहता है और सरकार द्वार सम्मान भी प्राप्त करता है। कन्या धन का मालिक बनता है और पुत्र की कामना करता है। ऐसे जातकों का व्यवहार कुशल व न्याय प्रिय होता है। लेकिन घर में इनका व्यवहार मुसाफिरों जैसा होता है। क्योंकि यह हमेशा अपने काम धंधे में खोए रहते हैं। ऐसे व्यक्ति को अचानक से प्रचूर मात्रा में धन प्राप्त होता है।

कुंडली में शुक्र अगर छठें भाव जिसे रिपुभाव कहा जाता है, में स्थित हैं तो ऐसा व्यक्ति अपनी प्रथम संतान से काफी इच्छाएं रखता है और अपने काम से काम रखता है। गुरुजनों और वरिष्ठ जनों से इनका विरोध रहता है। लेकिन शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति को गुप्त परेशानियां बनी रहती हैं और इनके खर्च आमदनी से अधिक रहते हैं। अपने बिजनस में भी इनको ज्यादा लाभ नहीं मिल पाता और भाई-बहनों का सुख प्राप्त होता है। इस स्थिति शुक्र व्यक्ति को काफी मेहनती बना देता है।

कुंडली में शुक्र अगर सप्तम भाव अथवा जाया भाव में स्थित हैं तो व्यक्ति को मिला जुला फल मिलता है। ऐसा व्यक्ति आध्यात्म से जुड़ा हुआ रहता है और क्रिएटिविटि वाले काम करता है। व्यापार ऐसे जातक को कामयाब बनाता है और उदार स्वभाव से काफी लोकप्रिय होता है। साथ ही गायन व अभिनय के क्षेत्र में काफी रुचि रहती है। विवाह के बाद ऐसे व्यक्ति का भाग्य उदय होता है और सरकार द्वार सम्मान मिलता है। थोड़ी सी मेहनत करने पर आराम देने वाली चीजों की प्राप्ति होती है। हालांकि ऐसे व्यक्ति विलासिता और व्यभिचार से बचने की जरूरत है।

कुंडली में शुक्र अगर आठवें स्थान पर है तो व्यक्ति देखने में काफी सुंदर रहता है और सदाचारी व्यवहार का होता है। परिवार के सदस्यों और नौकर-चाकरों का सुख प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्ति को स्त्री के माध्यम से और ट्रस्ट के माध्यम से धन प्राप्त होता है। विदेश जाने के योग बनते हैं लेकिन कर्ज की स्थिति बनी रहती है। कार्यों में कई तरह की कठिनाइयां मिलती है और शत्रुओं से परेशान रहते हैं। जीवनसाथी और संतान को लेकर चिंता बनी रहती है।

कुंडली में शुक्र अगर नौंवे स्थान पर है तो व्यक्ति काफी गुणवान, परोपकारी और बलिष्ठ होता है। धर्म-कर्म के कार्यों में मन लगता है और जप-तप करता रहता है। अपने बाहुबल से काफी धन प्राप्त करते हैं और ब्याज पर धन का लेन-देन करते हैं। इनको सभी तरह की सुख-सुविधाएं मिलती हैं और अच्छे से अच्छा कपड़ा पहनते हैं। पिता के साथ आपका व्यवहार थोड़ा प्रतिकूल रहता है लेकिन विवाह के बाद अधिक सफल होते हैं। खेल कूद से जुड़े कार्यों में धन प्राप्त करते हैं और जीवन को सुखमय तरीके से व्यतीत करते हैं।

कुंडली में शुक्र अगर दसवें भाव में है तो व्यक्ति काफी आकर्षक स्वभाव का होता है। वह शांत और मिलनसार होता है और विवादों से बचने का प्रयास करता है। पूजा-पाठ, दान-पुण्य के कार्यों में रुचि रहती है और शास्त्रों का ज्ञान रहता है। सरकारी नौकरी करते हैं तो पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि करते हैं। धन-दौलत की कमी नहीं रहती और सोना-चांदी का संग्रह रहता है। विवाह के बाद भाग्य का उदय होता है और धन लाभ प्राप्त होता है। जीवनसाथी से सम्मान और लाभ मिलता है और यात्रा के काफी शौकिन होते हैं।

कुंडली में शुक्र अगर एकादश भाव में स्थित हैं तो व्यक्ति आकर्षक और निरोगी रहता है। वह गुणवान और अच्छे स्वभाव का होता है। इनको संगीत की दुनिया बहुत पसंद आती है और वाक्पटुता के कारण काफी प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति को विभिन्न वाहनों का काफी शौक होता है और सभी प्रकार की समृद्धि प्राप्त करते हैं। सरकार में अच्छी पहुंच होती है और इमारत बनवाने में काफी लाभ मिलता है। मित्रों से जुड़कर सामाजिक कार्य करते हैं और जीवन को सुखमय तीरके से व्यतीत करते हैं।

कुंडली में शुक्र अगर द्वादश भाव में स्थित है तो व्यक्ति तेजस्वी और वैभव प्राप्त करने वाला होता है। वरिष्ठजनों की सेवाभाव करता है और परिवार की हर जरूरत को पूरा करता है। अपनी सुख-सुविधाओं पर खर्च करने में जरा सा भी संकोच नहीं करते। विवाह अपेक्षाकृत जल्दी हो जाता है और मित्रों की संख्या भी खूब होती है। ऐसा व्यक्ति अपने आचरण से सभी को प्रसन्न करते हैं और हर क्षेत्र में कामयाब होते हैं। लेकिन शुक्र की यह स्थिति कामुक बनाती है और विवाह के बाद भी अन्य लोगों से संबंध बनाने में रुचि रखते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ' 


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