सुखद पलों को अपने आंचल में भर लेने को दिखीं आतुर
कान्हा की नगरी में मंगलवार को अनूठी होली खेली गई। बेरंग जीवन में एक बार फिर रंगों का निखार दिखा। सफेद साड़ी में रहने वाली विधवाएं भक्ति रंग से सराबोर हो गईं। मीरा सहभागिनी विधवाश्रम में सजी होली की टोली में स्थानीय आश्रम के अलावा बनारस के आश्रम की महिलाएं
वृंदावन। कान्हा की नगरी में मंगलवार को अनूठी होली खेली गई। बेरंग जीवन में एक बार फिर रंगों का निखार दिखा। सफेद साड़ी में रहने वाली विधवाएं भक्ति रंग से सराबोर हो गईं। मीरा सहभागिनी विधवाश्रम में सजी होली की टोली में स्थानीय आश्रम के अलावा बनारस के आश्रम की महिलाएं भी शामिल रहीं। दो घंटे तक अबीर गुलाल और फूलों की होली से माहौल सतरंगी हो गया।
पिछले तीन सालों से विधवा आश्रम में होली खेली जाती है। इस बार खास यह था कि बनारस के विधवा आश्रम में रहने वाली करीब तीस विधवाएं भी यहां होली खेलने आयी थीं। सरकारी आश्रय सदनों में रहने वाली वृद्ध-विधवाओं के होली खेलने के लिए करीब दस कुंटल फूल और छह कुंतल अबीर-गुलाल की व्यवस्था थी। दोपहर करीब ग्यारह बजे मीरा सहभागिनी विधवाश्रम में होली खेलने की शुरुआत हुई। इसके बाद वृद्ध-विधवाएं एक-दूसरे पर अबीर-गुलाल की बरसात करने लगीं। हालांकि पिछले साल भी यहां विधवाओं ने गीले रंगों का त्यौहार मनाया था। इस बार बनारस के आश्रय सदन से तीस विधवाएं आईं थीं।
अबीर-गुलाल से जी भर गया तो फूलों की होली शुरू हुई। होली की गीतों पर थिरक रहीं ये निराश्रित महिलाएं देर तक फूलों की बरसात करती रहीं। उम्र की दीवार को ढहाती महिलाओं के चेहरे के भाव बता रहे थे कि यह अवसर अरसे बाद मिला है जिसे वह जी भर कर के जीना चाहती हैं। 'हरे कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवाÓ जैसे भक्ति बोल आश्रय सदन में देर तक गूंजते रहे।
विधवाओं ने रचाई रासलीला- आश्रय सदन में मंगलवार को रासलीला हुई। वृद्धा आरती मिस्त्री ने कान्हा का रूप धारण किया तो साथ की महिलाएं राधा और गोपियां बन गईं। फिर जमकर रासलीला हुई। फूलों की होली से आंगन सराबोर हो गया।
समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश- सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वरी पाठक ने इस मौके पर कहा कि सदियों पुरानी परंपरा को बदलने और एकांकी जीवन व्यतीत कर रहीं विधवाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने की दिशा में यह एक छोटी कोशिश है। यहां अपने परिवारों द्वारा छोड़ दी गई हजारों विधवाओं ने शरण ले रखी है।
युवतियों ने भी मचाया धमाल-इस अवसर पर ब्रज, राजस्थानी और बंगाल की संस्कृतियों का संगम हुआ। आश्रय सदन में इस क्षण का आनंद लेने के लिए इन स्थानों से अनेक युवतियां भी आई थीं। ये भी होली खेलने और होली के गीतों पर थिरकती रहीं।