Move to Jagran APP

Pitru Paksha 2020 Tarpan Vidhi: पितृपक्ष में कैसे करते हैं पितरों का तर्पण, जानें पूरी और सही विधि

Pitru Paksha 2020 Tarpan Vidhi पितृपक्ष में पितरों का तर्पण कैसे करते हैं यह जानना बहुत जरूरी है। जानें इसकी सही विधि।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 08:30 AM (IST)Updated: Fri, 04 Sep 2020 08:11 AM (IST)
Pitru Paksha 2020 Tarpan Vidhi: पितृपक्ष में कैसे करते हैं पितरों का तर्पण, जानें पूरी और सही विधि
Pitru Paksha 2020 Tarpan Vidhi: पितृपक्ष में कैसे करते हैं पितरों का तर्पण, जानें पूरी और सही विधि

Pitru Paksha 2020 Tarpan Vidhi: पितरों के श्राद्ध के लिए निर्धारित पितृ पक्ष का प्रारंभ इस वर्ष 03 सितंबर दिन गुरुवार से हो चुका है, जो 17 सितंबर गुरुवार तक चलेगा। पितृपक्ष में पितरों की प्रसन्नता के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है, जिसमें तर्पण महत्वपूर्ण होता है। ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट आज हमें बता रहे हैं पितरों के तर्पण की विधि क्या है और किसका किसका तर्पण किया जा सकता है।

loksabha election banner

इन संबंधियों का करें तर्पण

श्राद्ध पक्ष में आप अपने माता-पिता के अतिरिक्त दादा (पितामह), परदादा (प्रपितामह), दादी, परदादी, चाचा, ताऊ, भाई-बहन, बहनोई, मौसा-मौसी, नाना (मातामह), नानी (मातामही), मामा-मामी, गुरु, गुरुमाता आदि सभी का तर्पण कर सकते हैं।

श्राद्ध पक्ष में तर्पण विधि

सर्वप्रथम पूरब दिशा की ओर मुँह करके कुशा का मोटक बनाकर चावल (अक्षत्) से देव तर्पण करना चाहिए। देव तर्पण के समय यज्ञोपवीत सब्य अर्थात् बाएँ कन्धे पर ही होता है। देव-तर्पण के बाद उत्तर दिशा की ओर मुख करके “कण्ठम भूत्वा” जनेऊ गले में माला की तरह करके कुश के साथ जल में जौ डालकर ऋषि-मनुष्य तर्पण करना चाहिए। अन्त में अपसव्य अवस्था (जनेऊ दाहिने कन्धे पर करके) में दक्षिण दिशा की ओर मुख कर अपना बायाँ पैर मोड़कर कुश-मोटक के साथ जल में काला तिल डालकर पितर तर्पण करें।

पुरुष-पक्ष के लिए “तस्मै स्वधा” तथा स्त्रियों के लिए “तस्यै स्वधा” का उच्चारण करना चाहिए। इस प्रकार देव-ऋषि-पितर-तर्पण करने के बाद कुल (परिवार), समाज में भूले-भटके या जिनके वंश में कोई न हो, तो ऐसी आत्मा के लिए भी तर्पण का विधान बताते हुए शास्त्र में उल्लिखित है कि अपने कन्धे पर रखे हुए गमछे के कोने में काला तिल रखकर उसे जल में भिंगोकर अपने बाईं तरफ निचोड़ देना चाहिए। इस प्रक्रिया का मन्त्र इस प्रकार है-“ये के चास्मत्कूले कुले जाता ,अपुत्रा गोत्रिणो मृता। ते तृप्यन्तु मया दत्तम वस्त्र निष्पीडनोदकम।। तत्पश्चात् “भीष्म:शान्तनवो वीर:.....” इस मन्त्र से आदि पितर भीष्म पितामह को जल देना चाहिए।

इस तरह से विधि पूर्वक तर्पण करने का शास्त्रीय विधान है। देव-ऋषि-पितर तर्पण में प्रयुक्त होने वाले मन्त्रों के लिए पुस्तक नित्य-कर्म विधि का प्रयोग उत्तम होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.