Pitru Paksha 2020: गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने बताया था पितृ पक्ष का महत्व
Pitru Paksha 2020 पितृपक्ष के दिन चल रहे हैं। इन दिनों हम सभी अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं। पितृ पक्ष से संबंधित महाभारत में भी उल्लेख है।
Pitru Paksha 2020: पितृपक्ष के दिन चल रहे हैं। इन दिनों हम सभी अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं। पितृ पक्ष से संबंधित महाभारत में भी उल्लेख है। ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, पितृपक्ष का महत्व भगवान विष्णु ने गरुड़ देव को गरुड़ पुराण में बताया था। इसमें महाभारत के अनुशासन पर्व में कुछ संवाद बताए गए हैं जो भीष्म पितामह और युधिष्ठिर के हैं। भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि श्राद्ध का ज्ञान सबसे पहले महर्षि निमि को अत्रि मुनि ने दिया था। इसके बाद ही ऋषि निमि ने श्राद्ध कर्म शुरू किया और फिर अन्य ऋषियों ने भी श्राद्ध कर्म करना शुरू कर दिया।
पितृपक्ष में पितृ तो अन्न ग्रहण करते ही हैं साथ ही अग्निदेव भी अन्न ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि अगर अग्निदेव को भोजन अर्पित किया जाए तो यह पितरों के पास जल्दी पहुंचता है और पितृ तृप्त हो जाते हैं। यही कारण है कि जलते हुए कंडे पर पितरों के लिए भोजन रखा जाता है और फिर उन्हें अर्पित किया जाता है।
पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण का अर्थ:
इन दिनों अपने मृत पितरों को याद करना ही श्राद्ध कहलाता है। वहीं, पितरों को भोजन दान करना पिंडदान और पितरों को जल दान करना तर्पण कहलाता है। पितृपक्ष में पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण का महत्व अत्याधिक होता है।
कर्ण और इंद्र की कथा:
एक पौराणिक कथा के अनुसार, कर्ण की मृत्यु वो स्वर्ग पहुंचे। वहां उन्हें खाने के लिए बहुत सारा सोना दिया गया है। यह देख कर्ण ने इंद्रदेव से पूछा कि उन्हें खाने के लिए सोना क्यों दिया गया है? तब इंद्रदेव ने कहा कि कर्ण ने जीवनभर केवल सोना ही दान किया है। उन्होंने अपने पूर्वजों को कभी भोजन दान नहीं किया। इसके बाद ही कर्ण को धरती पर 16 दिन के लिए भेजा गया था। इस दौरान उन्होंने अपने पितरों को पिंडदान, श्राद्ध और तर्पण किया।