Pitru Paksha 2020 Kauwa: पितृपक्ष में कौआ का क्या है महत्व? उसे भोजन देना क्यों है जरूरी
Pitru Paksha 2020 Kauwa पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध में भोजन का एक अंश कोओं को भी दिया जाता है। पितृपक्ष में कौओं को भोजन देने का विशेष महत्व होता है।
Pitru Paksha 2020 Kauwa: पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध में भोजन का एक अंश कोओं को भी दिया जाता है। पितृपक्ष में कौओं को भोजन देने का विशेष महत्व होता है। कौआ यमराज का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि कौआ आपके श्राद्ध का भोजन ग्रहण कर लेता है, तो आपके पितर आपसे प्रसन्न और तृप्त माने जाते हैं। यदि कौआ भोजन नहीं करता है तो इसका अर्थ है कि आपके पितर आपसे नाराज और अतृप्त हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कौओं को देवपुत्र माना जाता है। व्यक्ति जब शरीर का त्याग करता है और उसके प्राण निकल जाते हैं तो वह सबसे पहले कौआ का जन्म पाता है। माना जाता है कि कौआ का किया गया भोजन पितरों को ही प्राप्त होता है।
कौआ अतिथि के आने की सूचना देने वाला तथा पितरों का आश्रम स्थल माना गया है। ऐसी भी मान्यता है कि कौआ ने अमृत का पान कर लिया था, जिससे उसकी स्वाभाविक मौत नहीं होती है।
भगवान राम ने दिया था कौए को आशीर्वाद
त्रेतायुग की एक घटना है। एक बार एक कौए ने माता सीता के पैर में चोंच मार दी। तब भगवान राम ने तिनके का बाण चलाया, जिससे उसकी एक आंख फूट गई। इस पर उसे अपने किए का पश्चाताप हुआ और उसने माफी मांगी। तब भगवान राम ने उसे आशीर्वाद दिया कि तुम को खिलाया गया भोजन पितरों को प्राप्त होगा। तब से पितृपक्ष में कौओं को भी श्राद्ध के भोजन का एक अंश दिया जाने लगा।
माता सीता के पैर में चोंच मारने वाला कौआ देवराज इन्द्र के पुत्र जयन्त थे। जिन्होंने कौए का रूप धारण किया था। यह कथा त्रेतायुग की है, जब भगवान श्रीराम ने अवतार लिया और जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मारा था।
कौआ एक ऐसा पक्षी है, जिसे किसी भी घटना का पहले ही आभास हो जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि कोई भी क्षमतावान आत्मा एक कौआ के शरीर में प्रवेश करके कहीं भी भ्रमण कर सकती है।