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ब्रह्मसरोवर में तर्पण करने से पूर्वज जाते हैं ब्रह्मलोक

गया, नगर प्रतिनिधि। 'गयाधाम' में अपने-अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए अलग-अलग पिंड वेदी और सरोवर है। सभी वेदियों और सरोवर का अपना ही महत्व है। पितृपक्ष मेला के छठे दिन ब्रह्म सरोवर में पिंडदान करने का विधान है। इस विधान के निमित काफी संख्या में पिंडदानी सूर्योदय होते ही शहर के दक्षिण इलाके में स्थित ब्रह्मसरोवर पहुंचे। पुरोहि

By Edited By: Published: Wed, 25 Sep 2013 03:54 AM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2013 04:15 AM (IST)
ब्रह्मसरोवर में तर्पण करने से पूर्वज जाते हैं ब्रह्मलोक

गया, नगर प्रतिनिधि। 'गयाधाम' में अपने-अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए अलग-अलग पिंड वेदी और सरोवर है। सभी वेदियों और सरोवर का अपना ही महत्व है। पितृपक्ष मेला के छठे दिन ब्रह्म सरोवर में पिंडदान करने का विधान है। इस विधान के निमित काफी संख्या में पिंडदानी सूर्योदय होते ही शहर के दक्षिण इलाके में स्थित ब्रह्मसरोवर पहुंचे।

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पुरोहित एवं पंडित जी अपने-अपने पिंडदानियों का जत्था बनाकर पहुंचे। इस कारण से ब्रह्मसरोवर का तट पिंडदानियों से पट गया। सरोवर के तट पर अलग-अलग प्रदेश के पिंडदानी आए। जो अलग-अलग भाषा को जानने वाले थे। पुरोहित संस्कृत, हिंदी या फिर मगही भाषा में पूजा करा रहे थे। जिस वजह से कई पिंडदानियों को थोड़ी परेशानी जरूर हुई। लेकिन पुरोहित के इशारों को समझ कर वे पिंडदान की प्रक्रिया करते रहे। पिंडदानियों ने पूरी श्रद्धा के साथ ब्रह्मसरोवर के तट पर चिलचिलाती धूप में पिंडदान और जलाजंलि दी।

धार्मिक ग्रंथाें में ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मसरोवर में जलाजंलि देने से पूर्वज ब्रह्म लोक जाते हैं। इस कारण से पिंडदानियों ने गर्मी की परवाह किए बिना चिलचिलाती धूप में पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ अपने-अपने पूर्वजों को ब्रह्म लोक में वास कराने के लिए ब्रह्मसरोवर में जलाजंलि दी।

इधर मेले काछठा दिन होने के कारण गयाधाम में पिंडदानियों का सैलाब अब धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगा है। पिंडदानियों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। इसका वास्तविक आंकड़ा नहीं मिला है, लेकिन फिर भी जिला प्रशासन ने यह जरूर दावा किया है कि सोमवार तक गयाधाम में डेढ़ लाख पिंडदानी पहुंचे चुके हैं। यहां आने वाले पिंडदानियों की कोई दिक्कत नहीं हो, इसके लिए जिला प्रशासन प्रयत्नशील है।

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