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पिंडदानी गया जी पधारे हैं

ऐसे तो पितृपक्ष का मेला 17 दिनों का होता है। इन 17 दिनों में पिंडदानी अपने सुविधा अनुसार गयाजी में पधार कर पिंडदान करते हैं। शुक्रवार को मेले का 9 वां दिन गुजर गया। फिर भी पिंडदानियों का यहां आने का सिलसिला कम नहीं हो रहा है। बल्कि नित्य दिन पिंडदानियाें की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

By Edited By: Published: Sat, 28 Sep 2013 12:48 PM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2013 12:55 PM (IST)
पिंडदानी गया जी पधारे हैं

गया। ऐसे तो पितृपक्ष का मेला 17 दिनों का होता है। इन 17 दिनों में पिंडदानी अपने सुविधा अनुसार गयाजी में पधार कर पिंडदान करते हैं। शुक्रवार को मेले का 9 वां दिन गुजर गया। फिर भी पिंडदानियों का यहां आने का सिलसिला कम नहीं हो रहा है। बल्कि नित्य दिन पिंडदानियाें की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

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अभी जो सारी आंकड़ा बताया जा रहा है। उसके अनुसार अब तक गयाजी पधारने वाले पिंडदानियों की संख्या साढ़े तीन लाख बतायी जाती है। यह सभी गयाजी में उपस्थित नहीं है। इसमें हजारों की संख्या में रहे तीर्थयात्री पिंडदान करने के उपरांत अपने-अपने घर लौट गए है। इसमें सैकड़ों की संख्या में रहे पिंडदानी कोई एक दिन तो कोई तीन दिन का पिंडदान किए हैं। लेकिन बहुत से जो मारवाड़ी, अग्रवाल, पंजाबी सहित कई ऐसे समाज के लोग है, जो 17 दिनों का पिंडदान कर रहे हैं। वैसे अधिकांश लोग अभी गयाजी में अलग-अलग पिंड वेदी पर पिंडदान करते हैं। प्रशासन मिली सूचना के अनुसार गुरूवार की देर रात में आंध्र प्रदेश, नेपाल, तामिलनाडू और उड़ीसा राज्य से करीब 70 से 80 बस पिंडदानी गयाजी पधारे हैं। इनकी बसों को गया कालेज खेल परिसर में रखी गयी है। ऐसे राच्यों से आए पिंडदानियों की संख्या शुक्त्रवार को विष्णुपद मंदिर परिसर में देखा गया। इन राच्यों के अलग-अलग पुरोहितों ने पिंडदानियों का कर्मकांड शुरू कराया। इन राच्यों के ग्रुप में रहे बिहारी गाइड का कहना है कि ये सभी 7 दिनों का पिंडदान करेंगे। इन्हें गयाजी में होने वाले विधान के बारे में समुचित जानकारी दे दी गयी है। उस जानकारी के आधार पर पिंडदानी अपने-अपने स्वेच्छा और श्रद्धा के साथ पूर्वजों का पिंडदान करेंगे।

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