अधिक मास: ब्रज ने की बैकुंठ की चमक फीकी
अधिक मास में सारे जहां की आस्था ब्रज में समाहित हो गई। गोवर्धन आस्था का दरिया बना, तो चौरासी कोस में भी परिक्रमा लगा रही श्रद्धालुओं की कतारें अटूट रहीं। इस माह में ब्रज का नजारा तो मानो बैकुंठ से भी ज्यादा खूबसूरत रहा। हालांकि मौसम ने भी कई बार तेवर
मथुरा, जागरण संवाददाता। अधिक मास में सारे जहां की आस्था ब्रज में समाहित हो गई। गोवर्धन आस्था का दरिया बना, तो चौरासी कोस में भी परिक्रमा लगा रही श्रद्धालुओं की कतारें अटूट रहीं। इस माह में ब्रज का नजारा तो मानो बैकुंठ से भी ज्यादा खूबसूरत रहा।
हालांकि मौसम ने भी कई बार तेवर दिखाए, लेकिन तपती धूप हो या मूसलाधार बारिश, श्रद्धा का सैलाब उमड़ता ही रहा। गोवर्धन तलहटी तो श्रद्धा से झिलमिल रही। अधिकमास में श्रद्धा का जलवा गिरिराज जी ने लूट लिया। ब्रज के मंदिरों में हुए होली, दीपावली, घटाएं, हिंडोले के आयोजनों ने इस माह के आनंद को और बढ़ा दिया। राधे-राधे-कृष्णा-कृष्णा के जयघोषों ने ब्रज की हवा में भक्ति की मिठास घोल दी। भक्ति की सारी उपमाएं श्रद्धालुओं के सैलाब के आगे तुच्छ नजर आईं। ब्रजवासियों ने भी परिक्रमार्थियों की सेवा कर पुण्य कमाया। परिक्रमा मार्ग पर जगह-जगह भंडारे, प्याऊ आदि लगाए गए। रासलीलाओं और महारास के मंचन कर पौराणिक काल को जीवंत किया गया। बृहस्पतिवार को समाप्त हो रहे अधिक मास के दौरान धार्मिक अनुष्ठानों की बयार भी बहती रही। कथा-भागवतों का दौर चलता रहा। इस मास में लक्ष्मीजी ने कान्हा की नगरी पर जमकर कृपा बरसाई। गोवर्धन में मंदिरों पर सेवा के लिए करोड़ों के ठेके उठाए गए थे। वृंदावन, बल्देव और बरसाना में भी भक्तों ने खूब चढ़ावा चढ़ाया। प्रसाद और धार्मिक अनुष्ठानों के रूप में भी बाजार ने उछाल भरी।