कैलास मानसरोवर गए तीर्थयात्रियों ने हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ चीन में किया प्रवेश
आखिरकार सिक्किम से सटी चीन सीमा पर स्थित नाथुला दर्रा सोमवार को उस एतिहासिक घड़ी का गवाह बना, जिसकी लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। चार दिन पूर्व सिक्किम के नए रास्ते से कैलास मानसरोवर की यात्रा पर रवाना हुए तीर्थयात्रियों के समूह ने भोलेनाथ का जयघोष करते
गंगटोक। आखिरकार सिक्किम से सटी चीन सीमा पर स्थित नाथुला दर्रा सोमवार को उस एतिहासिक घड़ी का गवाह बना, जिसकी लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। चार दिन पूर्व सिक्किम के नए रास्ते से कैलास मानसरोवर की यात्रा पर रवाना हुए तीर्थयात्रियों के समूह ने भोलेनाथ का जयघोष करते हुए नाथुला दर्रा पार कर चीन सीमा में प्रवेश किया।
सोमवार को प्रातः 7.30 बजे राज्यसभा सदस्य तरुण विजय ने तीर्थयात्रियों को हरी झंडी दिखाकर दर्रे से रवाना किया। "हर हर महादेव" के उद्घोष के साथ तीर्थयात्रियों ने पैदल ही दर्रा पार किया। चीन सीमा में उनका चीनी अधिकारियों ने स्वागत किया व नियमों की जानकारी दी। इसके बाद यात्रियों को पहले से तैयार चीनी वाहन से आगे की यात्रा पर रवाना कर दिया गया। दल के चार जुलाई को वापस लौटने का कार्यक्रम है।
कार्यक्रम में सांसद तरुण विजय ने राज्य सरकार द्वारा तीर्थयात्रियों के आतिथ्य की सराहना करते हुए आभार व्यक्त किया। इस मौके पर राज्य पर्यटन विभाग के सचिव सी जांगपो ने सिक्किम सरकार से तीर्थयात्रियों को भविष्य में भी स्वागत-सत्कार को लेकर किसी तरह की शिकायत का मौका न देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
गौरतलब है कि राजधानी गंगटोक के पालजोर स्टेडियम में आयोजित भव्य समारोह में राज्यपाल श्रीनिवास पाटिल एवं मुख्यमंत्री पवन चामलिंग ने तीर्थयात्रियों को रवाना किया था। इसके बाद तीर्थ यात्रियों को जलवायु के अनुकूल खुद को ढालने के लिए समय देने के उद्देश्य से 15 माइल, 17 माइल व शेरेथांग में रात्रि विश्राम की व्यवस्था की गई।