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Pauranik Kathayen: तो इसलिए देवी लक्ष्मी दबाती हैं श्री हरि के पैर... पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen आज गुरुवार है यानी विष्णु जी का दिन। आज हम आपके लिए विष्णु जी की पौराणिक कथा लाएं हैं। शास्त्रों में या तस्वीरों में देखा गया है कि मां लक्ष्मी श्री हरि के चरणों में बैठकर उनके पैर दबाती हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 09:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 02:30 PM (IST)
Pauranik Kathayen: तो इसलिए देवी लक्ष्मी दबाती हैं श्री हरि के पैर... पढ़ें यह पौराणिक कथा
Pauranik Kathayen: तो इसलिए देवी लक्ष्मी दबाती हैं श्री हरि के पैर... पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen: आज गुरुवार है यानी विष्णु जी का दिन। आज हम आपके लिए विष्णु जी की पौराणिक कथा लाएं हैं। शास्त्रों में या तस्वीरों में देखा गया है कि मां लक्ष्मी श्री हरि के चरणों में बैठकर उनके पैर दबाती हैं। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है जिसका वर्णन हम यहां कर रहे हैं।

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एक बार नारद जी ने मां लक्ष्मी से पूछा कि वो हमेशा विष्णु जी के पैर क्यों दबाती रहती हैं? लक्ष्मी जी ने जवाब दिया कि चाहे मनुष्य हो या फिर देवी-देवता, ग्रहों के प्रभाव से कोई अछूता नहीं रहता है। महिलाओं के हाथ में देवगुरु बृहस्पति का वास होता है। तो पुरुषों के पैरों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य का। ऐसे में जब भी कोई महिला पुरुष के चरण दबाती हैं तो देव और दानव का मिलन होता है और इससे धनलाभ का योग बनता है। यही कारण है कि मैं हमेशा श्रीहरि के चरण दबाती हूं।

पुराणाों के अनुसार, लक्ष्मी जी को भगवान विष्णु ने अपने पुरुषार्थ के बल पर ही अपने वश में रखा था जो हमेशा सभी के कल्याण का भाव रखते हैं। जो लक्ष्मी जी विष्णु जी के पास हैं वो धन और संपत्ति हैं। श्री हरि इनका उचित उपयोग जानते हैं। यही कारण है कि महालक्ष्मी श्री विष्णु के पैरों में उनकी दासी बन कर रहती हैं। इसके अलावा भी इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, लक्ष्मी जी की बहन अलक्ष्मी उनसे ईर्ष्या करती थीं। ऐसा इसलिए क्योंकि अलक्ष्मी बिल्कुल भी आकर्षक नहीं थीं। उनकी आंखें भड़कीली, बाल फैले हुए और बड़े-बड़े दांत थे। देवी लक्ष्मी जब भी अपने पति यानी श्री हरि के साथ होती थीं तब अलक्ष्मी हमेशा वहां पहुंच जाती थीं। यह बर्ताव लक्ष्मी जी को बिल्कुल पसंद नहीं आता था। उन्होंने अलक्ष्मी से कहा कि तुम मुझे और मेरे पति को अकेला क्यों नहीं छोड़ देती। तब अलक्ष्मी ने कहा कि उनकी कोई पूजा नहीं करता है। इसलिए जहां भी लक्ष्मी जी जाएंगी वो वहां उनके साथ आएगी।

यह सुन देवी लक्ष्मी क्रोधित हो गईं और अलक्ष्मी को शाप दे दिया। उन्होंने कहा कि मृत्यु के देवता तुम्हारे पति हैं। गंदगी, ईर्ष्या, लालच, आलस, रोष जहां भी होगा तुम वहीं निवास करोगी। ऐसे में मां लक्ष्मी हमेशा ही अपने पति के चरणों की गंदगी दूर करती रहती हैं जिससे अलक्ष्मी कभी भी उनके पास न आ पाए।

जैसा कि कहा जाता है कि सौभाग्य और दुर्भाग्य एक साथ चलते हैं। ऐसे में दुर्भाग्य कई बार आपके जीवन में प्रवेश करने के मौके तलाशता रहता है। अलक्ष्मी भी इसी तरह घर के बाहर बैठकर लक्ष्मी के जाने का इंतजार करती हैं। जहां पर गंदगी मौजूद होती है या लालच और ईर्ष्या होती है वहां पर कलह और कलेश का वातावरण बन जाता है। इससे यह संकेत मिलता है कि घर में अलक्ष्मी का प्रवेश हो चुका है। ऐसे में लोगों को मां लक्ष्मी की पूजा निरंतर करते रहना चाहिए जिससे अलक्ष्मी घर में प्रवेश न कर पाए।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ' 


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