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Pauranik Kathayen: जब अहल्या से दुराचार के कारण इंद्र को भोगनी पड़ी बंदी की पीड़ा

Pauranik Kathayen ब्रह्मा जी ने इंद्र को बताया कि उन्होंने जिस नारी को बनाया था उसका नाम अहल्या था। तब उन्होंने गौतम ऋृषि को धरोहर के रूप उस कन्या को सौंप दिया।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 03:00 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 02:55 PM (IST)
Pauranik Kathayen: जब अहल्या से दुराचार के कारण इंद्र को भोगनी पड़ी बंदी की पीड़ा
Pauranik Kathayen: जब अहल्या से दुराचार के कारण इंद्र को भोगनी पड़ी बंदी की पीड़ा

Pauranik Kathayen: लंका के राजा रावण के पुत्र मेघनाद से युद्ध में पराजित होने और बंदी बनाए जाने से देवताओं के राजा इंद्र का दैवी गुण और तेज नष्ट हो गया था। जब मेघनाद इंद्र को बंदी बनाकर लंक ले जाने लगा तो उनका सिर शर्मिंदगी से नीचे झुक गया। वे इस हार से दुखी होकर चिंता में डूब गए और अपनी हार का कारण सोचने लगे।

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ब्रह्मा जी ने जब इंद्र की यह दशा देखी तो उन्होंने इंद्र से कहा कि यदि आज तुम को अपनी पराजय के कारण अपमान का घूंट पीना पड़ रहा है और दुख हो रहा है तो बताओ कि तुमने पहले बड़ा भारी नीच कर्म क्यों किया था?

ब्रह्मा जी ने इंद्र को संबोधित करते हुए कहा कि देवराज! सबसे पहले उन्होंने अपनी बुद्धि से जिन लोगों को उत्पन्न किया था, उन सभी के अंगों का तेज, रूप, अवस्था तथा भाषा एक समान थीं। उन सभी के रूप और रंग आदि में कोई विशेष बात नहीं थी। तब उन्होंने उन सभी लोगों में कुछ विशेषता लाने के बारे में सोचा। काफी सोच विचार के बाद उन्होंने कुछ विशेष लोगों की उत्पत्ति के लिए एक नारी का सृजन किया। पहले के लोगों के हर अंगों में जो विलक्षण विशेषता और सुंदरता थी, उसे उस नारी के अंगों में प्रकट किया गया।

ब्रह्मा जी ने बताया कि उन्होंने जिस नारी को बनाया था, उसका नाम अहल्या था। तब उन्होंने गौतम ऋृषि को धरोहर के रूप उस कन्या को सौंप दिया। अहल्या गौतम ऋृषि के यहां वर्षों तक रही। उसके बाद गौतम ऋृषि ने उसे ब्रह्मा जी को वापस लौटा दिया। महर्षि गौतम के इंद्रीय संयम और सिद्धियों को देखते हुए दोबारा अहल्या को उनको सौप दिया, लेकिन इस बार अहल्या उनके पास पत्नी के रूप में गई।

गौतम ऋृषि अहल्या के साथ आनंदपूर्वक रहने लगे। जब अहल्या को गौतम ऋृषि को दे दिया गया, तब देवताओं में घोर निराशा हो गई। इंद्र इससे तुम अत्यंत क्रोधित हो गए। तुम काम के वश में आ गए थे। जिसके कारण तुम गौतम ऋृषि के आश्रम में चले गए और वहां दिव्य सुंदरी अहल्या को देखा।

ब्रह्मा जी ने इंद्र को याद दिलाया कि उस वक्त तुम काम और क्रोध के वशीभूत होकर अहल्या के साथ दुराचार किया था। उस वक्त गौतम ऋृषि ने तुम को अपने आश्रम में देख लिया। इससे वे क्रोधित हो गए और तुमको श्राप दे दिया।

श्राप देते हुए गौतम ऋृषि ने कहा ​था - तुमने उनकी पत्नी के साथ निडर होकर दुराचारपूर्ण व्यवहार किया है। इस कारण से तुम युद्ध के समय शत्रु के हाथों बंदी बनाए जाओगे। ब्रह्मा जी ने कहा कि हे! इंद्र, उस श्राप के कारण ही आज मेघनाद ने तुमको बंदी बनाया है। (वाल्मीकि रामायण से)


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