Pauranik Katha: जानें धर्मराज युधिष्ठिर ने समस्त स्त्री जाति को क्यों दिया था श्राप, पढ़ें यह कथा
आज हम आपके लिए महाभारत का एक प्रसंग लेकर आए हैं। संक्षेप्त में जानें तो इस प्रसंग के मुताबिक धर्मराज युधिष्ठिर ने स्त्रियों को श्राप दिया था कि वो किसी भी बात को छिपा नहीं पाएंगी।
Pauranik Katha: कई पौराणिक कथाएं ऐसी होती हैं जिनकी जानकारी हमें नहीं होती है। अगर जानकारी होती भी है तो शायद हम उन्हें भूल चुके होते हैं। यह कारण है कि जागरण आध्यात्म आपके लिए समय-समय पर कुछ पौराणिक कथाओं की जानकारी ले आता है। इससे पहले भी हम आपको कई कथाएं सुन चुके हैं। वहीं, आज हम आपके लिए महाभारत का एक प्रसंग लेकर आए हैं। संक्षेप्त में जानें तो इस प्रसंग के मुताबिक, धर्मराज युधिष्ठिर ने स्त्रियों को श्राप दिया था कि वो किसी भी बात को छिपा नहीं पाएंगी। तो चलिए अब विस्तृत रूप से यह जानते हैं कि आखिर धर्मराज युधिष्ठिर ने स्त्रियों को यह श्राप दिया क्यों था।
धर्मराज युधिष्ठिर ने स्त्रियों को दिया था श्राप:
यह महाभारत का एक प्रसंग है। जब अर्जुन ने अंगराज कर्ण का वध कर दिया था, तब पाण्डवों की माता कुन्ती बेहद दुखी हुईं और अंगराज कर्ण के शव पर उसकी मृत्यु का विलाप करने पंहुच गईं। जब धर्मराज युधिष्ठिर ने अपनी माता को कर्ण के शव पर विलाप करता देखा तो उन्हें कुछ अजीब लगा। धर्मराज युधिष्ठिर ने माता कुन्ती से पूछा कुन्ती कि वो हमारे शत्रु की मृत्यु पर विलाप आखिर क्यों कर रहीं है?'
इस पर माता कुन्ती ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया कि ये तुम्हारा शत्रु नहीं है। ये तो तुम्हारा ज्येष्ठ भ्राता है। साथ ही माता कुन्ती ने धर्मराज युधिष्ठिर को कर्ण के जन्म की पूरी कथा सुनाई। यह सब जानकर और सुनकर धर्मराज युधिष्ठिर बहुत ज्यादा दुखी हुए। उन्होंने माता कुन्ती से कहा, 'आपने हम सभी से इतनी बड़ी बात छिपाई। आपकी वजह से हम हमारे ज्येष्ठ भ्राता के हत्यारे बन गए हैं।'
तत्पश्चात् धर्मराज युधिष्ठिर ने समस्त नारी जाति को श्राप देते हुए युधिष्ठिर कहा, 'मैं आज समस्त नारी जाति को श्राप देता हूं कि वो किसी भी बात को अपने हृदय में छिपा नहीं पाएंगी। वो चाहेंगी तो भी ऐसा नहीं कर पाएंगी।' जनश्रुति है कि धर्मराज युधिष्ठिर के श्राप के प्रभाव से ही स्त्रियां कोई भी बात अपने हृदय में छिपा नहीं पाती हैं।